अम्बिकापुर. खाने का टेंडर हुआ.. लेकिन अस्पताल में दखल रखने वाले खाना माफियाओं ने अपनी उजड़ती विरासत को देखकर टेंडर लेने वाले परदेशी ठेकेदार को शहर मे रूकने नहीं दिया. जिसकी वजह से अस्पताल प्रबंधन को बिना टेंडर पुराने खाद्य स्पलायर, जो अस्पताल के लिहाज से खाद्य माफिया है। उसके बलबूते ही संभाग के सबसे बड़े अस्पताल का किचन सिस्टम चलाना पड रहा है. जिसका परिणाम है कि मंगलवार की रात अस्पताल के कोविड वार्ड में एडमिट मरीजों को खाने मे एक लंबा कीडा मिल गया और फिर तहलका ऐसा मचा कि स्वास्थ्य मंत्री क्या उनके भतीजे को सिस्टम मे दखल देना पड़ा।
अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज मे कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के लिए 100 बिस्तर का कोरोना वार्ड बनाया गया है. लेकिन एक सिस्टम को 10 लोगों के दिमाग और 50 लोगों के बहुदा विचार के कारण फेल होना पड़ा. आलम ये है कि कोरोना काल में इस अस्पताल में सिस्टम इस कदर फेल है कि मरीजों को कीडा युक्त खाना मिल रहा है.. हालांकि असल हक़ीकत ये है कि इस पूरे फेल्युर सिस्टम के पीछे अस्पताल प्रबंधन की कोई गलती नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के घर से चंद कदमों पर स्थापित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ दिन पहले मेस का टेंडर हुआ था. टेंडर प्रदेश के किसी अन्य जिले के ठेकेदार को मिला. लेकिन टेंडर किसी दूसरे को मिलने की बात को लेकर मेस सिस्टम में पहले से अपने एकाधिकार समझने वाले पुराने खाद्य सप्लयार और अम्बिकापुर के कुछ असमाजिक किस्म के कांग्रेसी नेताओं ने टेंडर लेने वाले बाहरी ठेकेदार को काम शुरू करने ही नहीं दिया. लिहाज़ा अस्पताल के मरीजों को खाने परोसने का टेंडर मिलने वाले ठेकेदार को बैरंग वापस लौटना पड़ा. खबर तो ये भी है कि टेंडर को लेकर उन्ही लोगों ने स्टे भी ले लिया है.
टेंडर नहीं तो क्या कीडा खाएं मरीज?
इधर इस तानाशाह रवैये के बीच अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल का मेस भगवान भरोसे है. जानकारी के मुताबिक स्थिति ये है कि अस्पताल के मेस के लिए अभी वही पुराना मटेरियल स्पलायर ही खाद्य सामग्री की सप्लाई कर रहा है और मजबूर अस्पताल प्रबंधन उसके दिए राशन से मरीजों को टिफिन मुहैया करा रहा है. शायद यही वजह है खाद्य माफियाओं के चंगुल मे कैद स्वास्थ्य विभाग की इसलिए किरकिरी हो रही है कि वो कोविड जैसे संवेदनशील वार्ड की थालियों मे कीडा और इल्लियां परोसने को मजबूर है…
किरकरी के बाद अधिकारियों ने बनाया खाना
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे खाना में मिली इल्ली के बाद स्वास्थ्य मंत्री के भतीजे आदितेश्वर शरण सिंहदेव सक्रिय हुए.. और फिर रात को ही प्रबंधन से जुडे कई लोगों ने मरीजों के लिए दोबारा खाना बनाया और फिर खाना कोरोना मरीजों को खाना परोसा गया.. वैसे असलियत ये है कि अगर अस्पताल के हुए हवाए टेंडर को अस्पताल के कथित गुण्डे चलने देते.. तो ना ही सिंहदेव साहब किसी को चमकाते और ना ही खाने मे गिल्लियां चमकती. वैसे ये होना संभव नहीं है क्योंकि अस्पताल मे दखल रखने वाले इनकी अकल पर ताला लगा रखे हैं.
तस्वीर मे देखिए डरे हुए लोग कैसे दोबारा बगैर कुक खुद खाना बना भी रहें है ओर परोस भी रहे हैं.