
सूरजपुर। जिले के प्रतापपुर तहसील मुख्यालय शुक्रवार को उस समय आंदोलन के आग़ोश में बदल गया, जब धान खरीदी में हो रही लूट-धांधली के ख़िलाफ़ किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों की संख्या में जुटे किसान नारे, आक्रोश और अपनी पीड़ा के साथ तहसील प्रांगण में बैठ गए। किसी के खेत का रकबा काटा गया, किसी को टोकन के नाम पर दौड़ाया गया, तो किसी से समितियों में ज़बरन बोरी पलटी और छल्ली करवाई गई। यह सब किसानों की मेहनत पर सीधे प्रहार जैसा महसूस हुआ और आखिरकार वे सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए।
धरने की कमान कांग्रेस प्रदेश महामंत्री शिव भजन मरावी ने संभाली और पहली ही बात में सरकार पर सीधा हमला बोल दिया। उनके शब्दों में मानो किसानों का दर्द बोल रहा था “धान खरीदी में रकबा कटौती और टोकन अव्यवस्था से किसान बर्बादी की कगार पर खड़े हैं। समितियां किसानों से ज़बरन बोरी पलटवा रहीं हैं, यह प्रशासन की संवेदनहीनता नहीं, बल्कि उत्पीड़न है। छह दिनों में समाधान नहीं हुआ तो प्रतापपुर से सूरजपुर तक ऐसी बगावत उठेगी जिसे रोकना सरकार के बस में नहीं होगा।” मरावी की चेतावनी के साथ धरना स्थल पर मौजूद किसानों की तालियां और नारों की आवाज़ साफ बता रही थी कि अब धैर्य की सीमा टूट चुकी है।
धरने के दौरान तब माहौल और गरज उठा, जब नवनियुक्त जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशि शशि सिंह किसानों के बीच पहुँचीं। उन्होंने भी सरकार व प्रशासन पर दो टूक हमला बोलते हुए कहा “किसान देश का अन्नदाता है, उसका अपमान नहीं सहा जाएगा। धान खरीदी केंद्रों में फैली अव्यवस्था और अन्याय पर सरकार को जवाब देना ही पड़ेगा।” उनके आगमन से आंदोलन की ऊर्जा और तेज़ होती देखी गई।
विधायक, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में गांवों से आए किसानों ने मिलकर कलेक्टर सूरजपुर के नाम अनुविभागीय अधिकारी प्रतापपुर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। मांग बिल्कुल स्पष्ट थी। धान खरीदी केंद्रों पर रकबा कटौती, टोकन अव्यवस्था और जबरन बोरी-छल्ली करवाने जैसी शोषणकारी प्रक्रियाओं को तुरंत बंद किया जाए। किसानों ने साफ चेतावनी दी कि यह जमीन, फसल और सम्मान का सवाल है; यदि समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन आने वाले दिनों में और उग्र रूप लेगा।
तहसील प्रांगण से उठी यह आवाज सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि किसानों की उस पीड़ा का विस्फोट थी जो महीनों से प्रशासनिक अनदेखी की राख में दबकर सुलग रही थी। सवाल अब यह है। किसानों की चेतावनी से सरकार और प्रशासन की बंद आँखें खुलेंगी या फिर प्रतापपुर से उथल-पुथल की वह शुरुआत होगी जो पूरे जिले को आंदोलित कर देगी? समय की टिक–टिक शुरू हो चुकी है, और आने वाले छह दिन तय करेंगे कि किसान शांत होंगे या संघर्ष और बड़ा रूप लेगा।
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