राज्य वित्त आयोग द्वारा जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की कार्यशाला आयोजित
अम्बिकापुर- छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष चन्द्रशेखर साहू ने कहा है कि पंचायती राज संस्थायें लोकतंत्र की नींव है और इनके सशक्तिकरण से ही लोकतंत्र को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से पंचायतों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सकता है। श्री साहू ने उक्ताशय के विचार जिला पंचायत सभाकक्ष में सम्पन्न संभाग स्तरीय राज्य वित्त आयोग की दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन व्यक्त की।
श्री साहू ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय सुदृढ़ीकरण एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कर वसूली प्रणाली को कारगर बनाने की दिशा में जनपदों एवं पंचायतों से सुझाव लेकर कार्य योजना बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि करदाताओं को विश्वास दिलाना होगा कि उनसे जो कर वसूला जा रहा है वह उनके बेहतरी के लिए उपयोग किये जायेंगे। श्री साहू ने कहा कि शासन द्वारा 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राशि सीधे ग्राम पंचायतों को सौंपती है तथा आवश्यकतानुसार व्यय किया जाता है। उन्होंने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं के लिए वित्तीय प्रबंधन एवं आबंटित राशि के बंटवारे के लिए सिफारिश करने हेतु राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया है। वित्त आयोग पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा कर इसमें सुधार के लिए सुझाव तथा विभिन्न प्रकार के कर एवं राजस्व आदि के संग्रहण के लिए सरकार को सुझाव देता है।
इस अवसर पर आयोग के सचिव डॉ. बीके अग्रवाल ने बताया कि 14 वें वित्त आयोग ने केन्द्र सरकार के कर संग्रह में से राज्यों को मिलने वाली हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की सिफारिश करने से केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है जो कि पहले 32 प्रतिशत था। उन्होंने बताया कि 14 वें वित्त आयोग की धनराशि का बंटवारा ग्राम पंचायत द्वारा 80 प्रतिशत कुल आबादी पर और 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए खर्च किया जायेगा। उन्होंने बताया कि धनराशि का खर्च पेयजल सुविधा, स्वच्छता, ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन समुदायिक सम्पतियों के रख-रखाव, सड़कों का रख-रखाव, स्ट्रीट लाईट, श्मशान भूमि व अन्य मूल सुविधाओं पर किया जायेगा। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सरकार योजना मद में 90 प्रतिशत धनराशि एकमुष्त प्रदाय करेगी तथा शेष 10 प्रतिशत धनराशि निष्पादन-अनुदान के रूप में देगी। यह अनुदान तभी दी जायेगी जब पंचायतें अपनी खाते का ऑडिट कराकर वित्तीय वर्ष के भीतर ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे तथा गतवर्ष तुलना में अपने राजस्व में भी वृद्धि करेंगे।
कार्यशाला में राज्य वित्त आयोग तथा पंचायतों के जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के बीच पंचायतों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान कर वसूली में वृद्धि के लिए जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से सुझाव मांगें गये। जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों की परिस्थिति के अनुसार सुझाव दिये। इनमें पंचायतों तथा हाट बाजारों में छोटी-छोटी दुकान निर्माण, सांस्कृतिक भवन, नल-जल योजना आदि के माध्यम से अधोसंरचना का विकास तथा गौण खनिज पर रायल्टी में वृद्धि के सुझाव दिये गये। इस अवसर पर सरगुजा संभाग के उपायुक्त एपी शाडिल्य ने कर वसूली हेतु कर्मचारियों तथा जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की आवश्यकता व्यक्त करते हुये कहा कि जनपद स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु जनपद अध्यक्षों के माध्यम से कार्य योजना तैयार करने तथा इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विशेषज्ञ अधिकारियों को आमंत्रित करने की बात कही।
कार्यशाला में आयोग की संयुक्त सचिव सुश्री सुलोचना हबलानी, अनुसंधान अधिकारी विवेक मिश्र, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरगुजा अनुराग पाण्डेय, जिला सूरजपुर संजीव झा, जिला कोरिया श्रीमती तूलिका प्रजापति, जिला बलरामपुर-रामानुजगंज रणवीर शर्मा, जिला जशपुर दीपक सोनी, जिला पंचायत अध्यक्ष सरगुजा श्रीमती फुलेश्वरी सिंह, जिला सूरजपुर अशोक, जिला कोरिया श्रीमती कलावती मरकाम, जिला जशपुर श्रीमती गोमती साय सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित थे।