बलरामपुर जिले में पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर एक अधेड़ ने खुदकुशी कर ली है.. मृतक के परिजनों का आरोप है की जमीन विवाद सुलझाने पहुची पुलिस ने मोटी रकम माँगी थी.. जिस वजह से अधेड़ ने खुदकुशी की है.. मामला बसन्तपुर थाना क्षेत्र के वाड्रफनगर चौकी का है.. दरअसल बलरामपुर जिले के ग्राम अमडीहा निवासी जिम्मेदार साव का उसके ही पड़ोसी से लम्बे अरसे से जमीन विवाद चल रहा था,और यह विवाद धीरे धीरे मारपीट में कब तब्दील हो गया किसी पता ही नही चला, वही मारपीट की शिकायत लिए दोनों पक्ष वाड्रफनगर पुलिस चौकी पहुँचे, जहाँ पुलिस ने एक एक कर दोनों पक्षो की दलीले सुनी, और मामले का निपटारा करा देने का भरोसा देते हुए दोनों पक्षो से मोटी रकम की मांग की।
यही नही जमीन के एक टुकड़े के मोह में दोनों पक्षो ने बाकायदा पुलिस को पैसे पहुँचा दिए, तो वही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जिम्मेदार साव 16000 ही पुलिस को दे पाए थे, जबकि दूसरे पक्ष के लोगो ने मोटी रकम पुलिस को दी थी। वही पुलिस पर यह भी आरोप लग रहे है कि चौकी प्रभारी हेमन्त अग्रवाल ने जिम्मेदार साव से और पैसे की डिमांड कर दी,और पैसे नही देने पर झूठे केस में फंसा कर जेल भेजने का दबाव बनाया.. लिहाजा जिम्मेदार साव ने पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर जहर सेवन कर खुदकुशी कर ली।
इधर मृतक जिम्मेदार साव के परिजनों का कहना है की जिम्मेदार साव ने पुलिस के द्वारा रकम मांगने की लिखित शिकायत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से तक कि थी, लेकिन आला अधिकारी इस मामले में कुछ कर पाते उससे पहले ही भ्रष्ट सिस्टम के शिकार हो चुके जिम्मेदार साव ने मौत को गले लगा लिया। पुलिस की रोज रोज की प्रताड़ना सुनकर थक चुके जिम्मेदार साव ने थक हार कर अपनी नाबालिक पोती से सुसाईड नोट तैयार करवाया, और बकायदा जहर सेवन कर प्राण त्यागने की लिखित सूचना एसडीओपी वाड्रफनगर को दी ,लेकिन गरीब फरियादी की बात जिम्मेदार हुक्मरानों तक नही पहुँची।
जिले के पुलिस महकमे तक जिम्मेदार साव की हर अर्जी दस्तक दे चुकी थी, लेकिन इन अर्जियों को महज कागज टुकड़ा ही समझा गया, तभी तो महकमे के आला अधिकारियों ने इस मामले पर कोई एक्शन नही लिया। यही नही समय रहते मामले में उचित कार्यवाही होने से जिम्मेदार साव की जान बच सकती थी। वही अब इस मसले पर अधिकारी जांच के बाद कार्यवाही का आस्वासन दे रहे है, और पुलिस के द्वारा पैसे मांगे जाने वाले आरोपो को निराधार बता रहे है।
आज जमीन के छोटे से टुकड़े के विवाद को पुलिस किस तरीके से सुलझाती यह तो समझ से परे है, लेकिन निर्दोष लोगों को झूठे प्रकरण में फंसा कर जेल भेजने की धमकी देना, इन अधिकारियों की कार्य शैली को दर्शाता है। बहरहाल सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि ,जिम्मेदार के मौत का जिम्मेदार आखिर है कौन और उस पर क्या कार्यवाही होगी ।