धमतरी... वनांचल इलाके के तकरीबन 110 गांव के किसानों ने अपने मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोला। वही शहर से होते हुए रैली निकालकर क्लेक्टोरेट तक पदयात्रा की और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। 38 डिग्री तापमान में किसानों ने करीब 3 घंटे तक प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस के अधिकारी एवं बल तैनात रहे। वही मौके पर एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार भी मौजूद थे। कलेक्टर से मिलने की जिद पर अड़े किसानों से जब कलेक्टर नही मिले तो किसान बिना ज्ञापन दिए बैरंग लौट गए। नाराज किसानों ने अंबेडकर चौक में चक्काजाम करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस से झूमाझटकी भी हुई। अफसरों के समझाइश बाद किसान वापस लौट गए।
दरअसल, ग्रामीणों का आरोप हैं कि, इन इलाकों में आजादी के पूर्व से काबीज वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया था। यहां तक कि ग्रामों में राजस्व का बोर्ड भी लगाया गया। इसके अलावा काबिज जमीन का ऋण पुस्तिका भी बनाया गया। लेकिन, राजस्व ग्राम की तरह उन्हें ऋण पुस्तिका नहीं दिया गया। जिससे इन गांवों के किसानों को शासन द्वारा चलाए जा रहे किसी भी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। उनकी काबीज भूमि का नक्शा,बी 1 खसरा ऑनलाइन नहीं हैं। जिससे उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा हैं, और उन्हें दर दर भटकना पड़ता हैं। किसानों की मांग हैं कि कास्त भूमि का राजस्व अधिकारियों के द्वारा बंदोबस्त और त्रुटि सुधार कर विभाग के भुइयां पोर्टल में दुरुस्तीकरण कर दर्ज किया जाएम
इसके अलावा कास्त भूमि का भाई बंटवारा नामांतरण का प्रावधान राजस्व विभाग के ऋण पुस्तिका पट्टा में किया जाए। वही परिवर्तित राजस्व ग्रामों के किसानों को अन्य गांवों की भांति सुविधा प्रदान किया जाए। अभ्यारण क्षेत्र में लघु वनोपज संग्रहण का पूर्ण अधिकार दिया जाए। हाथियों के द्वारा फसल हानि पर प्रति एकड़ 4 हजार मुआवजा और हाथियों के द्वारा जनहानि पर 50 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। साथ ही, इन गांवों में के पटेल को शासन के द्वारा दिए जाने वाला मानदेय दिया जाना चाहिए।
किसान नेताओं का कहना हैं कि, इन क्षेत्रों के अधिकांश गांवों न तो बिजली है और न तो सड़क है, और अन्य सुविधाएं मयस्कर हैं। किसी भी कार्य के लिए उन्हें ब्लॉक मुख्यालय तक का सफर तय करना पड़ता हैं। आजादी से पहले वह यहां बसे हैं। लेकिन, इसके बाद भी सुविधाएं नही मिल रही हैं। आजादी के पहले से रह रहे इन किसानों को आज भी भूस्वामी का पूर्णतया अधिकार नही मिला हैं।
बहरहाल, किसान आने वाले दिनों में अपनी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं। मुख्यमंत्री निवास के घेराव से लेकर राजधानी में प्रदर्शन की बात कह रहे हैं।