More Than 1000 Trees Uprooted Without Permission In Dhamtari: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरुद इलाके में भारत माला सड़क बना रहे ठेकेदार ने बिना अनुमति के 1 हज़ार से ज्यादा पेड़ो को जड़ से उखाड़ दिया। उखाड़े हुए ज्यादातर पेड़ चोरी हो चुके है। वन विभाग ने इस मामले में एक ट्रक लकड़ी और जेसीबी जब्त किया तब पूरा मामला सामने आया है। हैरानी की बात है कि इतना बड़ा खेल हो गया और न कुरुद एसडीएम को खबर लगी न जिला प्रशासन को।
दरअसल, केंद्र सरकार की भारत माला प्रोजेक्ट के तहत कई सड़के बन रही है। इनमे से एक सड़क धमतरी जिले के कुरुद इलाके से गुजर रही है। जो राजधानी रायपुर को विशाखापटनम से जोड़ेगी। सड़क निर्माण का काम ठेके पर दिया गया है। जिन गाँवो से होकर सड़क गुजरेगी वहाँ रास्ते मे आने वाले बड़े छोटे पेड़ो और वृक्षो को भी हटाना होता है। इसके लिए भी अलग से अनुमति की जरूरत होती है। अगर पेड़ वन भूमि पर है तो वन विभाग अनुमति देता है। अगर राजस्व की भूमि पर हो तो कलेक्टर से अनुमति लेनी होती है। अनुमति कही से भी लिया जाए। पेड़ो को काटने या उखाड़ने का काम वन विभाग अपनी निगरानी में करवाता है और उनका हिसाब भी रखता है। धमतरी डीएफओ मयंक पांडेय ने बताया कि धमतरी कलेक्टर ने वनविभाग को इन पेड़ों को काटने की अनुमति भी दे रखी थी। लेकिन इस से पहले की वनविभाग अपनी कार्रवाई शुरू करता कुरुद इलाके में इन तमाम कायदों को दरकिनार रख कर। ठेकेदार ने 1 हज़ार 77 पेड़ पर अपनी जेसीबी लगवा कर उखड़वा दिए। उखड़े हुए पेड़ो को मौके पर ही छोड़ दिया। वो पेड़ अब वहा नही है। या तो उन्हें बेच दिया गया है या वो चोरी हो गए।
ये मामला तब सामने आया जब… वन विभाग ने यहाँ की लकड़ी के अवैध परिवहन के मामले को पकड़ा। क्योंकि सारी गड़बड़ी राजस्व की जमीन पर हुई है। इस लिए वन विभाग ने अपने स्तर की कार्रवाई के बाद सारे डिटेल सहित दसतावेज कुरुद एसडीएम को सौंप दिया है. इसकी जांच और कार्रवाई का जिम्मा राजस्व विभाग का है। पर हैरानी की बात है कि 1 हज़ार से ज्यादा पेड़ जेसीबी लगा कर खुले आम उखाड़ दिए गए,और न एसडीएम को इसकी भनक लगी और न ही धमतरी जिला प्रशासन को पता चला।
अब इस मामले में कुरुद के राजस्व अधिकारी सवालों का सामना करने से बच रहे है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि राजस्व विभाग कब तक इस मामले की जांच करता है और क्या कार्रवाई करता है। गायब हुए पेड़ो की रिकवरी किससे की जाती है और किस अधिकारी को जिम्मेदार माना जाता है। बहरहाल, वन विभाग की इस कार्रवाई के बाद ये मामला अब उजागर जरूर हो चुका है।