घड़े की बिक्री 50 फीसदी से हुई कम, फ्रीजर व्यवसाय में 30 फीसदी का इज़ाफा
अम्बिकापुर – वर्षो से चले आ रहे परम्परागत मिट्टी के घडो का उपयोग अब कम ही देखा जा रहा है। ‘ मिट्टी के घडो का “शीतल जल” अब फ्रीज के “चील्ड वाटर” मे तब्दील हो चुका है’ मिट्टी के घड़े में पानी को ठंडा करने पीने का अपना ही मजा है। घड़े के पानी की सोंही खुसबू और इस पानी की स्वछता भी प्राकृतिक होती है। लेकिन समय के साथ बदलते परिवेश में घडो का उपयोग घटता जा रहा है। नतीजन घडो की बिक्री में हर वर्ष पचास फीसदी की गिरावट आ रही है तो वही इलेक्ट्रानिक सामान वाटर कूलर और फ्रीज की बिक्री में हर वर्ष तीस फीसदी की बढ़त देखी गई है।
परिणाम साफ है की लोग अपने परंपरागत पानी ठंडा करने के साधन घड़े को भूलते जा रहे है और अप्राकृतिक गैस के सहारे मशीनों के जरिये पानी को ठंडा कर रहे है। तभी तो घडो की बिक्री में गिरावट आ रही है और इलेक्ट्रानिक उपकरण की बिक्री बढ़ रही है। जबकी मिट्टी का घडा कमजोर होता है और जल्द ही टूट फूट जाता है लिहाजा एक ही घर में कई बार घड़े को खरीदा जाता है। लेकिन ठीक इसके विपरीत वर्षो तक खराब ना होने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण की बिक्री जोरो पर है जबकी ये वारंटी गारंटी के साथ लम्बी सेवा देते है।
आधुनिक उपकरण के नुक्सान
घड़े के उपायोंग को छोड़ मशीनों के द्वारा पानी को ठंडा कर के पीना स्वस्थ के लिए हानिकारक भी साबित हो रहा है। एक तो गैस के जरिये मशीन का तापमान गिराकर पानी को ठंडा कर पीने से पानी में प्राकृतिक तत्व नहीं बचते है लिहाजा वह पानी हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। वही अक्सर फ्रीज में लोग प्लास्टिक की बोतल में पानी भरकर रखते है। लेकिन क्या आप जानते है प्लास्टिक के बर्तन में किसी भी द्रव्य के साथ जब तापमान कम या जादा होता है तो प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक तत्व उस द्रव्य में भी समाहित हो जाते है। लिहाजा ये पानी और भी जानलेवा हो जाता है।
परम्परागत घड़े के फायदे
परम्परागत घड़े में पानी ठंडा करके पीने के कई फायदे है एक तो यह एक बहोत ही सस्ता साधन है पचास से सौ रुपये में अच्छा घडा आप ले सकते है, लेकिन इलेक्ट्रानिक उपकरण खरीदने के लिए दस हजार रुपये तक आपको खर्चना पड़ सकता है, वही घड़े का पानी प्राकृतिक शीतलता प्रदान करता है, साथ ही स्वस्थ के लिए फायदेमंद भी होता है।
इलेक्ट्रानिक उपकरण की बढ़ रही बिक्री
इस सम्बन्ध में इलेक्ट्रानिक व्यवसाई गुरमीत सिंह जुनेजा ने बताया की हर साल इन समानों की बिक्री बढ़ रही है, पिछले वर्ष की तुलना में भी इस वर्ष व्यवसाय का प्रतिशत बढ़ गया है। इलेक्ट्रानिक कूलिंग समानों की बिक्री बढ़ने के पीछे की वजह इन्होने बताया की कैशलेस व्यवस्था के कारण भी व्यवसाय में इजाफा हुआ है।
2008 से घडो का उपयोग हुआ कम
इस सम्बन्ध में रामानुजगंज रोड तकिया मोड़ के पास वर्षो से घडा बनाने का कारोबार करने वाले तुलसी राम ने बाताया की पहले बहोत अच्छी बिक्री होती थी लेकिन 2008 के बाद से ना जाने क्या हो गया है धीरे धीरे घड़े की बिक्री कम हुई और आज स्थित यह है की जितना घडा हम लोग बना लेते है उसका दस प्रतिशत भी नहीं बिकता है, एक दिन में एक दो घडा बिक गया तो बहोत है।