अम्बिकापुर: 28 जून को छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर IAS अफसरों का तबादला सूची जारी हुई थी। जिसके तहत सरगुजा जिला कलेक्टर संजीव कुमार झा का तबादला कोरबा हो गया है। सूची जारी होने के बाद से ही लोगो का तांता सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा से मिलने ऑफिस और बंगले लगातार पहुँचने लगा। शायद सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा जिले के इकलौते से कलेक्टर होंगे। जिन्हें विदाई देने न सिर्फ कर्मचारी-अधिकारी बल्कि सरगुजा जिले की जनता भी इनके ऑफिस और बंगले पहुंची।
आज कलेक्ट्रेट ऑफिस के कर्मचारियों द्वारा जिला पंचायत के कर्मचारियों द्वारा, साथ ही कर्मचारी बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा उन्हें विदाई दी गई। साथ ही इस बार एक आश्चर्य देखने को मिला इन सारे विदाई समारोह में सरगुजा कलेक्टर से मिलने के लिए आम जनता का तांता लगा रहा। आज जिला पंचायत सभा कक्ष में जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह की अध्यक्षता में सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। जहां पर बात करते हुए कई कर्मचारी अपने आंसू रोक न सके।
सभी ने सरगुजा कलेक्टर की संवेदनशीलता को जमकर सराहा और ऐसा कलेक्टर दोबारा पता नहीं कब मिलेगा इस बात को नम आंखों से रखा, जिला पंचायत में मौजूद कर्मचारियों-अधिकारियों ने उनके साथ बीते पिछले 2 सालों यादों को शेयर करते हुए कहा कि जब भी उन्हें कोई घर में परेशानी होती थी। तो मदद मांगने के पहले ही सरगुजा कलेक्टर के मदद के हाथ पहले ही उनके के घर तक पहुंच जाया करते थे। चाहे वो रायपुर में इलाज की बात हो या घरेलू परेशानी। इतना ही नहीं सरगुजा कलेक्टर इकलौते ऐसे कलेक्टर बने जिनके कार्यकाल में किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को मिलने के लिये दरवाजा खटखटाने की जरूरत नहीं पड़ी। सरगुजा कलेक्टर से मिलना बहुत ही सुलभ था। अगर परेशानी होती थी तो उसे ऑफिस में ही नहीं बल्कि उनके बंगले पर मिल कर भी आसानी से अपनी समस्या का निराकरण कराना बहुत सुलभ था।
सरगुजा कलेक्टर अपने कार्यकाल के दौरान महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए गौठानो में विभिन्न तरह के कार्यों का संचालन किया। जिसमें चिप्स बनाना, बटेर पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, बोरा निर्माण, बेकरी दाल, मील तेल प्रोसेसिंग इकाई, सी मार्ट, नरूआ संवर्धन एवं निर्माण अंडा उत्पादन एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए। जिससे ग्रामीण की महिलाएं ना सिर्फ सशक्त और स्वालंबी बनी, बल्कि अब अपने घर व समाज मे मुखिया बन गाव में आदर्श के रूप में देखी जाने लगी।
कोरोना काल में ज्वाइन किए कलेक्टर संजीव कुमार झा बिगड़ते सरगुजा के हालातों को दिन-रात एक मेहनत करके संभाला। जिसका परिणाम आज सबके सामने है। अगर यह कहा जाए कि इन्होंने सबसे ज्यादा औचक निरीक्षण व गौठनो का निरीक्षण किया। वहाँ के ग्रमीणों की समस्या से रूबरू हुए जमीन पर बैठकर ग्रामीणों से बात की मानवता की मिसाल पेश करने वाले यह छत्तीसगढ़ के पहले कलेक्टर होंगे तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जब भी कोई सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा से अपनी समस्या लेकर मिलने आया तो उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुनना और उचित निराकरण के निर्देश देना। चाहे वह जनदर्शन हो या फिर उनका ऑफिस हमेशा जनता की सेवा के लिए उनका द्वार खुले रहे। गर्मियों में लग रहे जनदर्शन में आने वाले लोगों के लिए बैठने के लिए कुर्सी और पानी, बतासे और गुड़ की व्यवस्था की गई। जो भी शख्स सरगुजा कलेक्टर के पास अपनी फरियाद लेकर आया कभी खाली हाथ लौट कर नहीं गया। चाहे वो दिव्यांगों के लिए ट्राई साइकिल या बच्चों को पढ़ने के लिए लैपटॉप या उनकी पढ़ाई में आ रही दिक्कतों के लिए फीस माफी या छोटे बच्चों के लिये बिस्किट, कोई कभी भी खाली हाथ नहीं लौटा। शायद यही वजह है कि आज विदाई समारोह में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की आंखें नम हो गई।
जिला पंचायत सभाकक्ष के विदाई समारोह में संजीव कुमार झा ने कहा कि एक अच्छा जीवन जीने के 1 सीख जरुर देना चाहूंगा कि कभी ऑफिस को घर लेकर मत जाना और कभी घर को ऑफिस ले कर मत आना। तभी आप अपने ऑफिस के कार्यो में 100% दे सकेंगे। साथ ही घर मे भी सुख शान्ति रहेगी, हम सब का कार्य राज्य शासन की योजनाओं को ग्रांउण्ड जीरो पर मूर्त रूप देना जिला प्रशासन की हमारी टीम बहुत अच्छी हैं और सब बहुत मेहनती है। आप सब ने अच्छा काम किया है। इस वजह से जब मुख्यमंत्री का सरगुजा आगमन हुआ। कोई सरगुजा एक ऐसा जिला बना जहाँ कोई सस्पेंड नही हुआ और हम सब ने अन्य जिलों को राह दिखाई की अच्छा कार्य कैसे कर के दिखाया जाता हैं। आप सब की टीम जिला पंचायत सीईओ विनय लंगेह के मार्गदर्शन में बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं, और उम्मीद हैं, ऐसे ही अच्छा कार्य करती रहेगी। कलेक्टर ने सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और आगे भी सरगुजा का नाम ऐसे ही रोशन रखने की कामना की।