स्‍कूलों में बच्चे अब छत्तीसगढ़ी नहीं उड़िया पढ़ेंगे

रायगढ़

प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें प्रदेश के स्कूलों में उड़िया भाषा पढ़ने का निर्देश दिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र में उल्लेख किया गया कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के प्रथम वर्ष सीखने सिखाने का माहौल बनाने व सौ बिन्दु में निरीक्षण अनुसार कहीं न कहीं शिक्षा में गुणवत्ता सुधार लाने की बात सामने आई है। सचिव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र में उल्लेखित किया गया कि जनवरी माह से स्कूलों में उड़िया भाषा सिखाने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र में छत्तीसगढ़ में उड़िया सिखाने की बात कही गई है, इसके लिए उड़िया भाषा सीखने के लिए सामग्री उपलब्ध कराई गई है। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जनवरी माह से ही स्कूलों में उड़िया भाषा को बोलचाल में लाने की शुरुआत की जाए। प्रदेश सरकार के इस फरमान के बाद से लोगों में रोष व्याप्त है। लोगों की मानें तो छत्तीसगढ़ में उड़िया भाषा को किस आधार पर पढ़ाने का निर्णय लिया गया है, जबकि यहां छत्तीसगढ़ी को प्रचलन में लाने की कवायद की जानी थी। बुद्घिजीवियों की मानें तो प्रदेश सरकार के उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों द्वारा लिया गया यह निर्णय विवेकहीन है। इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा।

उड़िया पढ़ाने की शुरू हुई कवायद

शिक्षा विभाग के आदेश के बाद अब स्कूलों में नौनिहाल उड़िया भाषा पढ़ेंगे। इसके लिए शासन की ओर से सामग्री भी उपलब्ध कराने की बात कही गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षकों को उड़िया भाषा पढ़ाने प्रशिक्षित किए जाने की तैयारी की जा रही है। इस आदेश के बाद शहर में तरह-तरह की चर्चा व्याप्त है। मसलन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पहले ही शिक्षकों की कमी है। अधिकांश सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी, गणित व विज्ञान विषय के शिक्षकों की कमी है। इसको दूर करने के बजाय सरकार उड़िया भाषा सिखाने की कवायद कर रही है।

सिर्फ उड़िया भाषा ही नहीं ओडिशी भी

यही नहीं कि इस भाषा और कौशल विकास के दायरे में सिर्फ उड़िया भाषा ही आएगी, बल्कि छात्रों को ओडिशी नृत्य की भी शिक्षा दी जाएगी। कहा जा रहा है कि स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा ओडिशी नृत्य की सीडी भी शिक्षा विभाग को दी जा रही है, जिसमें इस नृत्य विधा के तमाम बंद और स्टेप्स हैं। हालांकि रायगढ़ के कथक घराने को घराना का दर्जा दिलाने कलाकार आज भी संघर्ष कर रहे हैं और अभी तक कथक को घराने का दर्जा हासिल नहीं हो पाया है।

भाषा सिखाने का आधार क्या

स्कूलों में उड़िया भाषा सिखाने के पीछे मंशा यह बताई गई है कि इससे छात्रों में भाषा कौशल का विकास होगा। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि उड़िया भाषा से ही भाषा कौशल का विकास कैसे होगा। क्या यहां के छात्र आने वाले दिनों में रोजगार के लिए ओडिशा जाने वाले हैं? यदि भाषा कौशल ही बढ़ाना है तो दक्षिण भारतीय भाषा को पढ़ाया जाए, मसलन तमिल मलयालम या तेलगू।

छत्तीसगढ़ी तोड़ रही है दम

यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्कूली शिक्षा और सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता दिए जाने के सरकारी आदेश और निर्देश के बावजूद आज तक छत्तीसगढ़ी सरकारी भाषा नहीं बन पा रही है। न ही कोई सरकारी कामकाज छत्तीसगढ़ी में किया जा रहा है। स्कूल में छत्तीसगढ़ी शिक्षा व साहित्य की पढ़ाई को छोड़कर उड़िया की पढ़ाई को बुद्घिजीवी अदूरदर्शी निर्णय बता रहे हैं।