रायपुर. छत्तीसगढ़ में दीवाली का असल उजास और उमंग गांवों में दिखता है. लक्ष्मी पूजा के अगले दिन गौरा-गौरी पूजन और गोवर्धन पूजा ग्रामीणजनों के लिए अथाह उल्लास का क्षण होता है. इसमें सहभागिता देने, गौरा-गौरी से प्रदेशवासियों की मंगलकामना की प्रार्थना लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज सुबह दुर्ग जिले के कुम्हारी के लिट्टी बाबा चौक और ग्राम जजंगिरी पहुंचे. वहां परंपरानुसार उन्होंने पूजा अर्चना की.
जिसके बाद अपने हाथ बढ़ाये जिसमें परंपरानुसार एक ग्रामीण ने कुश से बने सोंटे से प्रहार किया. यह सभी विध्नों के नाश तथा मंगल कामना के लिए की जाने वाली परंपरा है. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारे देवी- देवताओं से आशीर्वाद लेने का पर्व है. शुभ की कामना का पर्व है. अपनी गांव की मिट्टी को सम्मान देने का पर्व है. गोवंश की समृद्धि का पर्व है और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता का अनूठा पर्व है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों के बीच इस अवसर पर आकर हर्षित हूँ. दीवाली का आनंद आप लोगों के बीच ही है. छत्तीसगढ़ में इतनी सुंदर परम्परायें त्योहार के अवसर पर हैं कि इससे पर्व का सौभाग्य तो हासिल होता ही है. आपस में प्रेम भी बढ़ता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गोवंश की समृद्धि का पर्व भी है. जिस गोधन से हमें इतना कुछ मिलता है. उसकी सेवा करने का, उसको सहेजने के संकल्प करने का पर्व है. अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर ग्रामीण बहुत उत्साहित हुए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इतने प्रेम से हमारे ग्रामीण उत्सवों में शामिल होते हैं. यह बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने अपना त्योहार हमारे साथ मनाने का निर्णय लिया, यह भी बहुत अच्छा लगा. जब ऐसे आयोजनों में मुख्यमंत्री हिस्सा लेते हैं तो नई पीढ़ी को भी एक सकारात्मक संदेश मिलता है कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखें।