छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने बस्तर स्थित नगरनार स्टील प्लांट की नौकरी के लिए बेटे-बेटियों में भेदभाव का शिकार हो रहे 61 बेटियों के पक्ष में मंगलवार को फैसला सुनाया है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर किरणमयी नायक का कहना है कि भू-प्रभावित परिवारों की बेटियां न्याय की हकदार है। उन्होंने कलेक्टर और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड को नौकरी के लिए कार्रवाई प्रारंभ करने का आदेश जारी किया है।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य महिला आयोग में 71 बेटियों ने न्याय के लिए गुहार लगाई थी, जिनमें से 61 की सुनवाई हुई। इसके अलावा दस मामलों को दोबारा परीक्षण के लिए समिति को भेज दिया गया है। डॉ. किरणमयी नायक ने सुनवाई करते हुए कहा कि बेटियों को माता-पिता की संपत्ति में कानूनी अधिकार प्राप्त है। कुछ बेटियां तो खुद भी भूस्वामी का हक पा चुकी थीं। इन्हें बेटों के समान ही जमीन का मुआवजा भी दिया गया, लेकिन नौकरी से वंचित कर दिया गया। पुनर्वास नीति 2007 के प्रविधानों की गलत व्याख्या करते हुए बेटे-बेटियों के बीच पुनर्वास योजना का लाभ देने में भेदभाव किया गया है, जो नैसर्गिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
आयोग अध्यक्ष ने सुनवाई में कहा कि स्टील प्लांट के लिए 2009-10 में जमीन अधिगृहित करने के लिए जारी अधिसूचना के तीन वर्ष पूर्व 26 दिसंबर 2006 की तारीख से पूर्व जमीन का मालिकाना हक रखने वालों को नौकरी देने के लिए आधार बनाया गया था। स्थानीय निवासियों के मामले में बेटे-बेटी पैतृक संपत्ति के हकदार थे, इसलिए कट आफ डेट इनके साथ लागू नहीं होता।
गौरतलब है कि एनएमडीसी ने भू-प्रभावित परिवारों के केवल बेटों को पैतृक संपत्ति का हकदार बताते हुए बेटियों के लिए अपात्र बता दिया था।