
बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक शकुंतला पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र मामले में आज सुनवाई होनी है. जिला स्तरीय सत्यापन समिति विधायक के जाति प्रमाण पत्र की सत्यता का परीक्षण कर रही है. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से दावा और आपत्ति संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत किये जाएंगे. वही सत्यापन समिति के अधिकार क्षेत्र को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही है कि कही ऐसा ना हो कि संभाग स्तरीय छानबीन समिति को यह मामला सौंप दिया जाये. अमूमन प्रदेश में इस तरह के मामलों की जांच राज्य स्तरीय छानबीन समिति के द्वारा की जाती है.
बता दे कि अधिवक्ता धन सिंह धुर्वे ने विधायक पोर्ते की जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, और हाईकोर्ट के निर्देश पर ही जिला स्तरीय सत्यापन समिति का गठन किया गया है. जिसके बाद रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी जानी है. आज की सुनवाई इसलिए भी अहम है. क्योंकि पिछली सुनवाई में सर्व आदिवासी समाज ने मामले की सुनवाई में जानबूझ कर लेट लतीफ करने का आरोप लगाते हुए बलरामपुर कलेक्ट्रेट का घेराव किया था. और स्थानीय प्रशासन से मांग की थी कि सुनवाई की तारीखें ना बढ़ाई जाये. जिसके बाद आज सुनवाई होनी है. आदिवासी समाज के रुख को देखते हुए कलेक्ट्रेट को छावनी में तब्दील किया गया है. कलेक्ट्रेट के 500 मीटर की परिधि में धारा 144 लागू कर दिया गया है.
पिछली सुनवाई के दौरान विधायक के अधिवक्ता जिला स्तरीय सत्यापन समिति के समक्ष उपस्थित हुए थे. जबकि सर्व आदिवासी समाज की ओर से अधिवक्ता धन सिंह धुर्वे व पूर्व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह मौजूद रहे.
दरअसल विधायक शकुंतला पोर्ते द्वारा नामांकन पत्र जमा करने के दौरान वर्ष 2001-02 के दौरान तत्कालीन वाड्रफनगर एसडीएम रहे धर्मेश साहू द्वारा जारी किये गये जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए गए थे, और अब उसी जाति प्रमाण की सत्यता का आंकलन किया जा रहा है. और पता लगाया जा रहा है कि, किन दस्तावेजों की बुनियाद पर यह जाति प्रमाण पत्र जारी की गई होगी.
किसी ना किसी का पीछे से हाथ है
बहरहाल जाति का जिन प्रदेश की सियासी गलियारों में एकबार फिर निकल कर आ गया है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय अजीत जोगी की जाति को लेकर भी लंबे समय तक सियासत हुई थी. इस दौरान दो विधानसभा और दो लोकसभा के चुनाव भी हुए थे. और फिर से जाति प्रमाण पत्र का बखेड़ा शुरू हो गया है. सबसे अहम सवाल तो यह है कि जिस शकुंतला पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र को लेकर आदिवासी समाज एकजुट होने का दम भर रहा है. वह आदिवासी शकुंतला पोर्ते के सरपंच रहने, जनपद सदस्य रहने के दौरान कहा था? शकुंतला पोर्ते की जाति को लेकर जिस तरह से बवाल शुरू हुआ उससे यह अंदाजा सहज लगाया जा सकता है कि, जिस आदिवासी जनता ने उन्हें चुनाव जिताया अब वही उन्हें कटघरे में क्यों देखना चाहती है. वजह साफ भी है. किसी ना किसी का पीछे से हाथ है.
इसे भी पढ़ें –
Surguja News: करोड़ों की लागत से बनी पुलिया का रिटर्निंग वॉल बारिश में ढहा, गुणवत्ता पर उठे सवाल
विवादों में जिला भाजपा की स्थाई आमंत्रित सदस्यों की सूची, वर्तमान व पूर्व सांसद का नाम सूची से गायब
समाज कल्याण विभाग का बाबू सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने लेता है घूस.!




