बिलासपुर. शहर में सीवरेज योजना का मामला एक बार फिर विधानसभा में उठा है। 180 करोड़ रुपए से शुरू हुई इस परियोजना की लागत 14 साल में 400 करोड़ रुपए हो गई है। फिर भी अब तक इसका काम पूरा नहीं हो सका है। वहीं, कंपनी की लापरवाही से लगातार इस परियोजना से लोगों की जानें जा रही है। बिलासपुर में शुरू हुए अंडर ग्राउंड सीवरेज योजना जनता के लिए नासूर बना हुआ है। साल 2008 मे परियोजना की शुरुआत की गई थी जिसे 24 माह में कंप्लीट होना था, लेकिन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी, सिंप्लेक्स कंपनी के ठेकेदारों और नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस परियोजना से 14 साल में अलग-अलग हादसों में 12 लोगों की मौतें हो चुकी है। वहीं, 60 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
दो दिन पहले तोरवा स्थित पावर हाउस के पास बने पम्पिंग स्टेशन में निगम की लापरवाही की वजह से बने टैंक में सरकंडा निवासी 17 वर्षीय आदित्य की गिरने से दर्दनाक मौत हो गई है।जबकि टैंक को स्लैब से ढंका रखना चाहिए था।
इधर बच्चे की मौत के मामले को लोरमी विधायक धरमजीत सिंह और बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे ने विधानसभा की पटल पर रखा है। विधायकों ने मृतक परिवार को दस लाख रुपए मुआवजा, योजना की जांच की मांग और अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
सदन में गूंजे इस सीवरेज के मुद्दे और युवक की मौत के मामले में विधायकों की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने तत्काल संज्ञान में लिया, और सीवरेज परियोजना में हुए हादसे की जांच कराने के आदेश दिए, जिस पर संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने जांच कराने की घोषणा की है।फिलहाल देखना होगा कि सदन में उठे सीवरेज के मुद्दे पर कब तक जांच शुरू होती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।