कोरिया (चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट)
- गरीबों के लिए रोजगार मुहैया कराने भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की थी, लेकिन जिले में बैंकों व प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते पहले ही चरण में योजना औंधे मुंह गिर गई।
- 02 अक्टूबर तक सभी बैंकों को दिया गया लक्ष्य पूरा करना था, लेकिन अभी तक मात्र 42 प्रतिशत प्रकरणों में ही ऋण बांटा गया है। उसमें भी कई प्रकरणों में ओवर ड्राफ्ट देकर खाना पूर्ति कर ली गई है।
- मुद्रा योजना (शिशु) के तहत नियमानुसार बैंकों को 20 हजार से 50 हजार तक के लोन बांटने थे। लेकिन बैंकों ने वसूली की चिंता के कारण अधिकांश प्रकरणों में हितग्राही को चार-पांच हजार रूपए का ओवर ड्राफ्ट देकर औपचारिकता पूरी कर ली।
जबकि कम से कम 20 हजार रूपए का ऋण हितग्राही को दिया जाना था, जिससे वह इस राशि का उपयोग रोजगार के लिए कर पाता, लेकिन बैंकों की मनमानी के कारण कई हितग्राही लाभान्वित होते हुए भी योजना के लाभ से वंचित रह गए। - जिले में अब तक मुद्रा (शिशु) योजना में लगभग 645 लोगों को ऋण वितरण किया गया है।जबकि 1525 लोगों को ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया था। यानी केवल 42 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हुआ है। इसमें भी कई बैंकों का ऋण वितरण का प्रतिशत 10 से भी कम है, तो कई बैंकों ने 50 प्रतिशत लक्ष्य भी हासिल नहीं किया है।
इन्होंने नहीं दिखाई रूचि
योजना के तहत ऋण वितरण में कई बैंकों ने बिल्कुल भी रूचि नहीं दिखाई। इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, आईडीबाईआई बैंक लिमिटेड, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने किसी भी प्रकरण में ऋण स्वीकृत नहीं किया। जबकि इन्हें 30-30 हितग्राहियों को ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया था।
वहीं सेन्ट्रल बैंक ने 100 में 90 लोगो को तथा स्टेट बैंक ने 100 का लक्ष्य पूरा कर आना टारकेेट पूरा कर हितग्राहियों को लोन बांटा। आईसीआईसी बैंक और एक्सीस बैंक, बैक आॅॅफ इंडिया, पंजाब बैंक ने भी ऋण वितराण में कोताही बरती है।
बैंक लौटा रहे हैं प्रकरण
नगर निगम एंव नगर पालिकाओ सहित नगर पंचायत में करीब 10000 आवेदन पेंडिंग हैं। लेकिन बैंकों द्वारा प्रकरण नहीं लिए जा रहे हैं। लक्ष्य पूरा हो जाने की बात कहकर बैंक प्रकरणों को वापस लौटा रहे हैं। नपा के संबंधित शाखा प्रभारी जगदिस उकेई ने बताया कि उन्होंने आवेदनों को बैंकों के पास भेजा था, लेकिन वहां से वापस लौटा दिया गया। पूरे आवेदन कार्यालय में ही पड़े हैं। बैंक केवल जन-धन योजना के खाताधारकों को ही लोन दे रहे हैं।
ये है योजना
जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक महेश शर्मा ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु, किशोर एवं तरूण तीन योजनाएं हैं। जिसमें पहले चरण में शिशु योजना के तहत 50 हजार रूपए तक व अगले चरण में किशोर और तरूण योजनाओं के तहत 5 लाख और 10 लाख तक की राशि के ऋण भी स्वीकृत किए जाने हैं। अगले चरण के लक्ष्य नवंबर, दिसंबर माह में प्राप्त हो जाएंगे।
गारंटी मांग रहे हैं बैंक
लोन देने के लिए बैंक गारंटी मांग रहे हैं। बैंकों का सबसे पहला सवाल यही होता है कि आप लोन कैसे चुकाएंगे। जिसके कारण लोगों को शासकीय योजनाओं के तहत मिलने वाले लोन लेने में भी नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। कई हितग्राहियों के आवेदन बैंकों के पास लंबित पड़े हैं। विभागों से लोन स्वीकृत होने के बाद लोग बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।
पांच लाख में निबटा दिए 30 प्रकरण
बैंक की शाखा को 30 प्रकरणों का लक्ष्य दिया गया था। बैंक ने आननफानन में लक्ष्य तो पूरा किया ही, दो चार प्रकरण अधिक भी निबटा दिए। लेकिन कुल 30 प्रकरणों में बैंक ने मात्र पांच लाख रूपए का ही लोन बांटा। यानी प्रत्येक हितग्राही के हिस्से में 17 हजार से भी कम रूपए आए। वहीं कुछ बैंकों ने ऐसे लोगों को लोन बांट दिए जो लाखों रूपए का लोन लेने की हैसियत रखते हैं। जबकि शिशु योजना गरीब लोगों के लिए थी। जिनकी आमदनी अधिक है, उनके लिए किशोर व तरूण योजनाएं हैं। जिसके तहत वे पांच लाख और दस लाख तक का लोन ले सकते थे।
मुद्रा में पांच हजार की ओडी को शासन ने इन्क्लूड किया है। ऐसे लोगों की पांच हजार की लिमिट हो गई है। एसएलबीसी मॉनीटरिंग कर रही है, हम भी करेंगे। ऋण वितरण किस प्रकार किया गया है, यह देखा जाएगा। नगरपालिका के भी सौ-सवा सौ केस स्वीकृत किए गए हैं।
जगदीष उईके , प्रभारी स्वरोजगार योजना विभाग , नगर पालिक निगम चिरमिरी
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के 20 से 50 हजार तक के हमारे विभाग के करीब सौ केस बैंकों के पास पेंडिंग हैं। जिन्हें बैंक मुद्रा योजना में इनक्लूड करके स्वीकृत कर देते तो उनका टार्गेट भी पूरा जाता और साथ में हितग्राही को सब्सिडी का लाभ भी मिल जाता है।