
बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..छत्तीसगढ़ में पंजीयन विभाग को दुरुस्त करने राज्य सरकार ने मुहिम चला रखी है, लेकिन विभाग के खटराल अधिकारी नौकरी ही दाव में रखकर भू-माफियाओं के इशारों पर पंजीयन (रजिस्ट्री) करने पर आमादा है. जिसका एक नमूना बलरामपुर में देखने को मिला है. हालांकि मामला जैसे ही पुलिस के पास पहुंचा पुलिस ने कार्यवाही कर 4 आरोपियों को धरदबोचा है.
बलरामपुर कोतवाली थाना क्षेत्र के अलखडीहा निवासी बोलो सिंह ने 25 अप्रैल 2025 को कलेक्टर से लेकर पुलिस तक को एक शिकायत दी थी, और शिकायत के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस एक्टिव मोड पर आ गई. बलरामपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई. मामले की तहकीकात शुरू हुई और फिर 4 आरोपी हिरासत में लिये गये, पूछताछ हुई. फिर गिरफ्तार कर लिये गये.
दरअसल, बोलो सिंह के खसरा नंबर 132 पर स्थित जमीन से 5 डिसमिल जमीन का सौदा अंबिकापुर निवासी, पेशे से बलरामपुर तहसील में दस्तावेज लेखक शशिकांत तिवारी ने की थी, और रजिस्ट्री भी हुई. लेकिन 5 की जगह 32 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री (पंजीयन) कर ली गई. इस पूरे मामले में कानून के लंबे हाथ से आरोपी बच नही पाये. पुलिस ने फौरी तौर पर 4 लोगो को गिरफ्तार किया है. बाकियों की तलाश जारी है.
इस पूरे घटनाक्रम में एक वाकया ऐसा भी रहा, जिसने राजस्व विभाग के सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सवालियां निशान लगने लगे है कि आखिर राजस्व विभाग के तहसील दफ्तर, पंजीयन दफ्तर में बिचौलियों का ही बोल बाला क्यों है?
जमीन की रजिस्ट्री से पहले कुटरचना के तहत साल 1954-55 का सेटलमेंट रिकॉर्ड ही बदल दिया गया और चौहद्दी हल्का पटवारी के फर्जी हस्ताक्षर कर बना लिये गये. जिसे रजिस्ट्रार सत्यापित करने में असफल रहा, और खेला हो गया. इस खेल के अहम किरदार शशिकांत तिवारी, सुनील सिंह, अरविंद किंडो, दीपक शर्मा की गिरफ्तारी हो चुकी है. कोतवाली प्रभारी भापेंद्र साहू के मुताबिक इस मामले के और भी आरोपी गिरफ्त से बाहर है. जिन्हें ढूंढा जा रहा है.