दोनो दलो का चुनाव प्रचार जोरो पर – घर-घर दस्तक दे रहे है प्रत्याशी
- नगरपालिका चुनाव आज तक नही जीती है कांग्रेस
- नपा टिकट वितरण में पूर्व वित्तमंत्री की चली
कोरिया (बैकुन्ठपुर से J.S.ग्रेवाल)
नगरपालिका परिषद् बैकुन्ठपुर की रणभेदी अब युद्व के लिए पूरी तरह सज चुकी है। 28 दिसम्बर को होने वाले मतदान के पूर्व ही दोनो दलो के रणबांकुरे पूरी तरह साज-सज्जा के साथ मैदान में उतर चुके है। अब अध्यक्ष के साथ पार्षद के दावेदार भी घर-घर दस्तक दे कर सीधे मतदाताओ से मिल अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे है। आज नाम वापसी व प्रतीक चिन्ह आबंटन के साथ ही अध्यक्ष पद के प्रत्याशीयो की भी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। दोनो ही दलो के नेताओ ने बागियो को मनाने का कार्य आरंभ कर दिया है।
एकजुट हुए भाजपाई बैकुन्ठपुर में अध्यक्ष पद के लिए दोनो ही दलो से कोई बागी ने इस बार ताल नही ठोकी है। लेकिन पार्षद पद के लिए अनेक दावेदारो ने पार्टी से टिकट नही मिलने के कारण निर्दलीय के रूप में अपना पर्चा भर दिया है। जिसके बाद पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी अपने वरिष्ठो के सहयोग से उनका नाम वापस लेने की मान-मनौव्वल में लग गए है। यह स्थिति कांग्रेस में ज्यादा है। हैरानी की बात तो यह है कि इस बार दोनो ही दलो में कई वार्डो में अच्छे प्रत्याशीयो का टोटा रहा। जिसकी वजह जो आया उसे दिया टिकट की तर्ज पर सिंगल नाम होने की वजह से उन्हे मजबूरी में प्रत्याशी बनाया गया है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से अध्यक्ष पद के दावेदार शैलेष शिवहरे व उनकी टीम ने पूरी ताकत लगा दी है। सारी पार्टी एक जुट हो कर अपने प्रत्याशी को जीताने में लग गए है। भाजपा के दिग्गज नेता तीरथ गुप्ता भी पार्टी को जीताने के लिए अपनी रणनीति को मूर्त रूप् देने में लग गए है। भाजपा इस बार पूरे सिस्टम के साथ एकजुट हो कर मैदान में दिख रही है। भाजपा कार्यालय में रोजाना पार्षदो की बैठक कर हर कमी को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। अब घर-घर संपर्क कर शैलेष शिवहरे अपने पार्षदो के साथ जमकर प्रचार कर रहे है। पूरा मैनेजमैंट बेहतरीन नजर आ रहा है। श्रम मंत्री भईयालाल राजवाड़े के आ जाने के बाद भाजपा के चुनाव प्रवार अभियान में और तेंजी आने की संभावना है। शहर में चारो ओर बैनर पोस्टर लगने के साथ ही नगरपालिका में पिछले 5 वर्षो में कराए गए कार्यो का उल्लेख करने वाले पर्चे बंटवा कर प्रचार किया जा रहा है। जिसका सीधा प्रभाव मतदाताओ के बीच देखने को मिल रहा है।
अपने -अपने में लगे कांग्रेस प्रत्याशी वहीं कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद के दावेदार अशोक जायसवाल अकेले ही कुछ युवा कार्यकर्ताओ के सहारे प्रचार प्रसार में दिखाई पड़ रहे है। वरिष्ठ कांग्रेसी अभी केवल कार्यालय तक नजर आ रहे है। कांग्रेस में सब अपना अपना देख रहे है अध्यक्ष अपने और पार्षद अपने अपने प्रचार करते नजर आ रहे है और इस बार कांग्रेस का मैनेजमैंट कुछ नही बल्कि पूरा बिगड़ा नजर आ रहा है। हालात तो यह है कि अभी तक कई वार्डो में कांग्रेस का अधिकृत पार्षद प्रत्याशी कौन है यह भी स्पष्ट नही हो पाया है। इस कारण उन वार्डो में पाषर्द के दावेदार खुल कर प्रचार नही कर पा रहे है। आज नाम वापसी के बाद ही उन्हे प्रचार करने का मौका मिल पाएगा। अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अशोक जायसवाल भी पूरे जी जान से पूरे वार्डो का भ्रमण कर एक-एक घर जा कर स्वयं मतदाओ से मिलकर उन्हे अपनी बाते समझा कर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे है। यु तो शुक्रवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री डां.चरणदास महंत का तीन दिवसीय दौरा है। जिसके बाद कांग्रेस का मैनेजमैंट सुधरने की संभावना है। कुल मिलाकर दोनो ही दलो का प्रचार अभियान जोरो पर है। दोनो ही एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हुए है।
कम नही गोंगपा वहीं इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आदिल रसीद उर्फ़ साजन अधिवक्ता को अपना प्रत्याशी बनाते हुए कई वार्डो में अपने प्रत्याशी भी उतारा हैं। गोंगपा ग्रामीण अंचल में सेंध लगाने के साथ ही अब शहरी इलाके में अपनी पैठ जमाने की जुगत में है। लेकिन अभी तक कांग्रेस व भाजपा की तरह गोंगपा का प्रचार काफी ढीले तौर पर आरंभ हुआ है। हालांकि पिछले चुनाव में गोंगपा ने दीपक कमरो के रूप में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था। लेकिन वह महज 67 मत प्राप्त कर अंतिम स्थान पर रहे थें । लेकिन अब पिछले 5 वर्षो में गोंगपा की स्थिति में काफी सुधार हो चुका है।
पिछले आकड़ो पर नजर नगरपालिका सिट पर अध्यक्ष पद के लिए आज तक कांग्रेस ने चुनाव नही जीता है। कांग्रेस के लिए इस बार इस मिथ्क को तोड़ने का पूरा अवसर है। 15 वर्ष पहले अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षद ही करते है। लेकिन जब से लोकतांत्रिक पद्वति से अध्यक्ष चुनाव हो रहा है जब से बैकुन्ठपुर में भाजपा के श्रीमती किशोरी गुप्ता, तीरथ गुप्ता व शैलेष शिवहरे अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके है। यदि बात बीते चुनाव की की जाए तो निर्दलीय प्रत्याशी रूप में शैलेष शिवहरे ने शानदार 5738 मतो से विजयी प्राप्त की थी। बाद में शिवहरे वापस भाजपा में शामिल हो गए थे। शिवहरे को निर्दलीय के रूप में 8499 मत, भाजपा के तीरथ गुप्ता को 2761, कांग्रेस के प्रदीप गुप्ता को 945, बसपा के मनीलाल राजवाड़े को 319, निर्दलीय शैलेन्द्र प्रताप सिंह को 87 व गोंगपा के दीपक कमरो को 67 मत प्राप्त हुए थे।
वहीं यदि नगरपंचायत 2004 के चुनावो की बात की जाए तो भाजपा के तीरथ गुप्ता ने कांग्रेस के प्रदीप गुप्ता को 303 मतो से पराजित किया था। इस चुनाव में भाजपा के तीरथ गुप्ता को 2481 मत, कांग्रेस के प्रदीप गुप्ता को 1978, एनसीपी की आशा को 400, उस समय के चर्चित प्रत्याशी व निर्दलीय इतलुत को 182, बसपा के बंटी सरदार को 160, निर्दलीय महेन्द्र दुबे को 87, निर्दलीय फूलसाय को 85, निर्दलीय डां. निर्मल घोष को 78, सपा के महेन्द्र सिंह को 49, निर्दलीय सतीष शर्मा को 41, निर्दलीय विष्वनाथ राम जी को 16 व निर्दलीय जमुना को 10 मत प्राप्त हुए थे।