अखण्डता में एकता हिन्द की विशेषता को किया चरितार्थ
अम्बिकापुर-देश दीपक “सचिन”
अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता को परिभाषित किया है सरगुजा के मोहम्मद तस्लीम खान ने इन्होंने हिन्दू धर्म के महापर्व छठ पूजा के दौरान लगने वाले मेले में अपनी खिलौने की दूकान लगाईं है और इस चलती फिरती दूकान में तस्लीम बड़े ही आनंद और श्रद्धा के साथ छठ पूजा के धार्मिक गीत बजाते है और सुनते है, और कहते है की एक माँ के दो संतान है एक हिन्दू और दूसरा मुसलमान, यही कारन है की तस्लीम धर्म के नाम पर बंटते इस समाज को भाईचारे का शंदेश दे रहे है
अम्बिकापुर के शंकर घाट में आयोजित छठ पर्व के मेले के दौरान दो पहिया वाहन को ठेले का रूप दिए ये शख्स मोहम्मद तस्लीम कहने को तो एक गरीब खिलौने वाला है जो घूम घूम कर खिलौने बेच कर अपने परिवार का पेट भरता है, लेकिन इस शख्स के खिलौने बेचने के पीछे है बड़ा मकसद, इनके ठेले पर छठ पुजा का धार्मिक पारम्परिक गीत बजाया जा रहा है, और बड़े ही श्रद्धा भाव से अपने ठेले में बैठे मोहम्मद तस्लीम इन भजनो में डूबे रहते है,वही इन सब के पीछे के कारणों पर तस्लीम बताते है की हम सब भारत के लोग है और भाई चारे का शंदेश देते हुए कहते है की एक माँ के ही दो संतान है एक हिन्दू तो दूसरा मुसलमान, लिहाजा भाई भाई को मिलकर रहने का शंदेश इनके द्वारा दिया जा रहा है, इतना ही नहीं इन्होंने बताया की रामनवमी व दुर्गा पूजा में नौ दिनों तक ये महामाया मंदिर में दूकान लगाते है और इसी तरह माँ के भजन सुनते है, देश में फ़ैली अराजकता पर इनका मानना है की जो बुरा है उसे बुरा कहना ही पडेगा, हम लोग अमन चैन चाहते है भारत के लोग है और यहाँ सभी धर्म के लोग बसते है तो सभी को एक दूसरे का त्यौहार मनाना चाहिए।
बहरहाल जाती धर्म के नाम पर एक और देश में अराजकता फ़ैली हुई है तो वही सरगुजा में ऐसे लोग है जो बताते है की सभी धर्मो के लोग एक है मुसलमान दोनों एक ही माँ के बेटे जैसे है, भले ही खिलौने बेचने वाला यह इंसान बड़ा विद्द्वान नहीं है विचारक नहीं है लेकिन इनकी इस सोच ने समाज को बड़ा सन्देश दिया है, लिहाज ऐसे सख्स को सलाम इनकी सोच को सलाम