सरगुजा. कोयला खनन परियोजनाओं से प्रभावित आदिवासियों और अन्य ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन भारी बरसात के बीच सातवें दिन भी जारी रहा. सूरजपुर जिला के अंतर्गत आने वाले तारा गांव में बिलासपुर-अम्बिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे धरने पर बैठे आदिवासी परिवार के लोगों का आरोप है कि परसा कोल ब्लाक के लिए फर्जी ग्राम सभा का प्रस्ताव तैयार किया गया. फिर भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृति की प्रक्रिया की गई है, जबकि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र होने के बावजूद पूरा मामला पेसा कानून और वन अधिकार मान्यता कानून के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है.
अपने जल जंगल जमीन की रक्षा और अपने अधिकार के लिए बैठे आदिवासी परिवार के लोगो की ये भी मांग है कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित अन्य कोयला खदानों से भी गंभीर और अपूर्णीय क्षति होगी. समृद्ध जैव विविधता से भरे हजारों हेक्टेयर वन और जंगली हाथी और विभिन्न वन्य जीवों का प्राकृतिक निवास भी इन परियोजनाओं से बर्बाद हो जाएगा. हसदेव बांगो बांध का कैचमेंट क्षेत्र भी नष्ट हो जाएगा, जिससे बांध के पानी से सिंचित होने वाले हजारों हेक्टेयर खेती की जमीन पर सूखा का संकट आ जाएगा. आदिवासियों की पीढियों से चली आ रही प्राचीन संस्कृति भी नष्ट हो जाएगी. और हजारों आदिवासी विस्थापित होकर बेघर हो जाएंगे.
इसके अतिरिक्त प्राणवायु आक्सीजन देने वाला हरा भरा प्राकृतिक आक्सी जोन भी तबाह हो जाएगा.. इन सब मांगों को लेकर हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा जिले के सैकड़ों आदिवासी ग्रामीण अनिश्चित कालीन धरने पर डटे हुए हैं.
कंपनी के प्रभाव से प्रशासन का दबाव..
दरअसल अपनी जमीन जंगल पानी किसी कंपनी को ना देने की मांग पर अडे आदिवासी परिवार के लोगों की आवाज प्रशासन तक पहुंच रही है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि धरना प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ताओं को चौकी तारा द्वारा 17 अक्टूबर को नोटिस जारी कर अनुविभागीय अधिकारी से धरना प्रदर्शन हेतु अनुमति लेकर आने का दबाव बनाया गया. वही तारा में जिस जगह पर धरना आयोजित किया जा रहा था भूमि मालिक की आपत्ति के बाद धरना स्थल को शनिवार को छठवें दिन 100 मीटर दूर कर दिया गया है. और जब रविवार को सातवें दिन भारी बारिश के बावजूद लोग धरना स्थल पर डटे हुए है और कोल ब्लॉक के विरुद्ध आंदोलन जारी रखा. तब इसी बीच ग्राम पंचायत तारा के सरपंच द्वारा अपने ग्राम में धरना प्रदर्शन हेतु जारी अनापत्ति को निरस्त करने का नोटिस जारी किया है.
जबकि इस सरपंच ने पहले अपने आदिवासी साथियों को शांतिपूर्ण धरना करने के लिए अपनी जमीन दी थी. बहरहाल अपने जल जंगल जमीन के लिए लडाई लड़ते लोगों को कुछ सामाजिक संगठन के लोगों का सहयोग तो मिल रहा है. पर जिस कंपनी को देश और प्रदेश के दिग्गज नेता सलाम करते हैं. उसका भला ये बेचारे क्या कर सकतें हैं.