- कर्मचारियों को निष्पक्ष रहना और दिखना चाहिए-कलेक्टर
- यदि कोई मंत्री चुनाव के कार्य से भ्रमण करते हैं, तो शासकीय कर्मचारी तथा अधिकारी उनके साथ नहीं जाएंगे।
- कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
अम्बिकापुर
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती ऋतु सैन ने आज जिला कार्यालय के सभाकक्ष में सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी एवं पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 के लिए लागू आदर्श आचरण संहिता का पालन करें। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को न केवल निष्पक्ष रहना चाहिए, बल्कि निष्पक्षता दिखनी चाहिए।
बैठक में शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न कराने के लिए सम्पत्ति विरूपण अधिनियम, कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने कहा गया है। बैठक में बताया गया कि निर्वाचन व्यय पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। कई प्रकार के व्यय निगरानी तंत्र इस चुनाव के काम करेंगे।
कर्मचारियों से अपेक्षित आचरण- शासकीय कर्मचारियों के संबंध में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी निर्वाचन कार्य के दौरान अपनी निष्पक्षता बनाएं रखें। जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास हो। उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ऐसी शंका भी हो सके कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। शासकीय कर्मचारियों को किसी भी प्रकार के चुनाव अभियान या प्रचार में भाग नहीं लेना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि सरकार में उनकी हैसियत या उन्हें प्रदत्त अधिकारों का लाभ कोई दल या उम्मीदवार न ले सके। किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कार्य करना छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 एवं 134-क के अनुसार निर्वाचनों से सम्बद्ध अधिकारी/कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करेंगे और न ही मत देने हेतु किसी प्रकार का प्रभाव डालेंगे। इसके अतिरिक्त कोई शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में कर्मचारी-लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 28-क के अधीन निर्वाचनों के संचालन के लिए नियोजित समस्त अधिकारी/कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर समझे जाएंगे और उस समय तक निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अधीन रहेंगे।
मंत्रियों के शासकीय दौरे पर प्रतिबंध- भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार निर्वाचन की घोषणा की तिथि से लेकर निर्वाचन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक की अवधि में केन्द्र या राज्य शासन के कोई मंत्री ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में शासकीय दौरा नहीं करेंगे जिनमें निर्वाचन की घोषणा हो चुकी है। (केवल कुछ अपवादित स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदा, कानून व्यवस्था व अन्य को छोड़कर), मंत्रियों के आगमन/भ्रमण के सन्दर्भ में निर्वाचन आयोग के उपरोक्त उल्लेखित एवं अन्य निर्देशों को ध्यान में रखकर उनका परिपालन सुनिश्चित किया जाएगा। यदि मंत्री संस्था या पार्टी की ओर से आम सभा आयोजित करते हैं, तो सभा की व्यवस्था नहीं की जाए। केवल कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना सुनिश्चित किया जाएगा।
यदि कोई मंत्री चुनाव के कार्य से भ्रमण करते हैं, तो शासकीय कर्मचारी तथा अधिकारी उनके साथ नहीं जाएंगे। उन अधिकारियों को छोड़कर जिन्हें ऐसी सभा के आयोजन में कानून एवं व्यवस्था के लिए, सुरक्षा के लिए या कार्यवाही नोट करने के लिए तैनात किया गया हो, दूसरे अधिकारियों को ऐसी सभा या आयोजन में शामिल नहीं होना चाहिए। जब किसी मंत्री को निजी मकान पर खाने-पाने के लिए आमंत्रित किया जाना है तो कोई शासकीय अधिकारी या कर्मचारी उसमें शामिल नहीं होंगे। चुनाव संबंधी सभा शासकीय शिक्षण संस्थाओं के खेल के मैदान में या शासकीय कार्यालयों या सरकारी मुलाजिमों के मकानों से लगी खुली जमीन पर करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, लेकिन इनके अलावा यदि कोई खुली शासकीय भूमि हो, तो उस पर सभा करने की अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं है।
आम सभा की अनुमति- सार्वजनिक स्थल पर चुनाव की मीटिंग की अनुमति देते समय विभिन्न राजनैतिक दलों में कोई भेद नहीं करना चाहिए। यदि एक ही दिन में कई दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हैं, तो उस दल को अनुमति दी जाए, जिसने सबसे पहले आवेदन पत्र दिया हो। यहां पर यह स्पष्ट किया जाता है कि दो दलों की आमसभा एक ही समय पर लगे हुए स्थानों पर होने देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की संभावना रहती है। ऐसी परिस्थिति में दोनों पक्षों को यह समझा दिया जाए कि यदि वे अलग-अलग समय अथवा अलग-अलग स्थानों पर सभाएं आयोजित करें तो अच्छा होगा। राजनीतिक दलों को सभा आयोजित करने की जानकारी स्थानीय पुलिस को देना आवश्यक है जिसमें सभा का समय एवं स्थान का उल्लेख आवश्यक है साथ ही लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति भी प्राप्त करनी होगी।
आचार संहिता में कहा गया है कि ऐसे किसी पदाधिकारी को निर्वाचन से संबंधित सभी कार्य से अलग रखा जाएं, जिसके विरूद्ध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 13 ग और या लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 28 के अधीन कोई अनुशासनिक कार्यवाही ठीक पूर्ववर्ती निर्वाचन के दौरान की गई हो। निर्वाचन से संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति उनके गृह स्थानों में न की जाए। साथ ही किसी ऐसे अधिकारी को जो प्रत्याशियों में से किसी का भी संबंधी हो, निर्वाचन संचालन के उत्तरदायित्व न दिये जाएं। निर्वाचन के दौरान किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत करने में पर्याप्त सावधानी रखी जाए ताकि निर्वाचन कार्य प्रभावित न हो। कोई भी शासकीय कर्मचारी किसी राजनीतिक आन्दोलन में न तो भाग लेगा न उनकी सहायता के लिए चन्दा देगा और न ही किसी प्रकार का सहयोग देगा।