अम्बिकापुर.. जिला मुख्यालय से लगे बडनी झरिया गांव के ग्रामीणो ने पटवारी पर हमला कर दिया और नायब तहसीलदार के वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया है.. यह घटना उस दौरान हुई जब राजस्व अमला बिना पुलिस के बल के अवैध अतिक्रमण हटाने गांव पहुंचा था…
हालाकि इस घटना की सूचना पर पहुंची गांधीनगर
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियो के पहुंचने के बाद मामला शांत हो गया.. लेकिन पूरी कार्यवाही के दौरान अम्बिकापुर राजस्व अमले की कार्यवाही संदेह के दायरे मे हैं… क्योकि एक तो पटवारी और नायब तहसीलदार बिना पुलिस बल के अतिक्रमण हटाने पहुचे और दूसरा असल अतिक्रमणकारियो को हटाने की जगह राजस्व अमले ने उस विशेष पीछडी जनजाति के पण्डो परिवार को बेदखल करने की कोशिश की.. जो वर्षो से इस वन्य ग्राम मे काबिज है….
अम्बिकापुर एसडीएम न्यायालय ने कुछ दिन पहले अपने अधीनस्थ कर्मचारियो को अवैध कब्जे की शिकायत के बाद शहर से लगे बडनी झरिया गांव का सर्वे करने के निर्देश दिए थे… और सर्वे होने तक गांव की जमीन पर किसी तरह के निर्माण और कागजी कार्यवाही पर स्टे लगा दिया था. जिसके बाद लगातार इस गांव मे सर्वे का काम चल रहा था.. इसी दौरान लॉक डाउन मे भू माफियाओ और वन्य ग्राम की जमीन के अवैध खरीददार काफी सक्रिय हो गए.. और लाक डाउन की आड मे घर बाउंड्री और अन्य निर्माण करने लगे.. जिसकी शिकायत पर एक बार फिर इलाके के पटवारी और नायब तहसीलदार आज गांव मे अवैध निर्माण तोडने की नियत से पहुंचे… लेकिन तभी वहां की महिलाओ की अगुवाई मे पुरूषो ने पटवारी के साथ हाथापाई कर दी.. और नायब तहसीलदार के वाहन के टायर को पंचर कर दिया… जिसकी सूचना पर एसडीएम प्रदीप साहू , सीएसपी एस एस पैकरा और गांधीनगर टीआई अनूप एक्का के साथ मौके पर पहुंचे.. और मामले को शांत कराया… लेकिन हैरत की बात है कि इतना गंभीर घटना होने के बाद भी जब मीडिया ने पीडित पटवारी से उसकी राय जाननी चाही तो एसडीएम साहू ने मीडिया से कुछ बताने के लिए मना कर दिया…
जानकारी के मुताबिक शहर से लगे जिस गांव बडनी झरिया मे ये घटना हुई ,, वो वन्य ग्राम है और वर्षो से इस गांव मे विशेष पिछडी जनजाति पण्डो समाज के लोग निवास करते आ रहे है…. लेकिन देखने को ये मिल रहा है कि भोले भाले इन पण्डो जाति के लोगो को बहला फुसलाकर शहर के कुछ भू माफिया सरकारी जमीन गैर आदिवासी और दूसरे स्थानो से आए आदिवासियो को गैर शासकीय लिखा पढी मे बेंच दे रहे है.. इतना ही नहीं इस गांव मे बसने वाले मे कुछ रसूकदार लोगो के साथ पुलिस कर्मी भी शामिल हैं… जो लाकडाउन के आड मे गांव के सरकारी और पण्डो जाति की जमीन पर लगातार निर्माण कार्य कर रहे हैं… लेकिन इस कार्यवाही मे राजस्व अमला जिस पण्डो परिवार के निर्माण कार्य को जमाीदोज किया है.. वो इस गांव मे बसने वाले पहले पण्डो परिवार के सदस्य हैं.. और अतिक्रमण वाले लोगो की सूची मे इस परिवार का नाम भी नहीं है..
1952 से गांव मे बसे पण्डो परिवार का घर राजस्व अमले को दिख गया.. लेकिन इन पण्डो जाति की आड मे शहर से लगी बेशकीमती जमीन पर काबिज भू माफियाओ के अवैध निर्माण राजस्व अमले को नही दिखे… शायद यही वजह थी कि यहां बसने वाले असल पण्डो परिवार का गुस्सा आज राजस्व अमले पर फूट पडा और लोगो ने कानून अपने हाथ मे ले लिया… इधर जिस राजस्व अधिकारी एसडीएम के आदेश पर बडनी झरिया गांव का सर्वे चल रहा था.. उनसे जब मीडिया ने मौके पर ग्रामीणो के असल गुस्से की वजह जानने की कोशिश की.. तो पहले तो उन्होने कैमरे के सामने आने से भी मना कर दिया और पीडित पटवारी को भी कुछ कहने से मना कर दिया… हांलाकि बाद मे इस कार्यवाही मे उठ रहे सवालो के देखकर उन्होने दबी जुबान अपना पक्ष रखा.. ……
बहरहाल हकीकत ये है कि अम्बिकापुर से लगे बडनी झरिया गांव का अधिकांश हिस्सा वन और राजस्व भूमि है… जिसके कुछ हिस्से मे पिछले कई वर्षो से पण्डो परिवार के लोग काबिज हैं… लेकिन शहर से लगी इस बेशकीमती जमीन पर शहर के भूमाफियाओ की टेढी नजर है… जिसकी वजह से यहां पिछले दो तीन वर्षो से अवैध कब्जे की होड लगी है… जो राजस्व अमले के साथ पुलिस और गांव के असल वासिंदो के लिए मुसीबत बना हुआ है…. बहरहाल आज हुई घटना पर एसडीएम साहब एफआईआर दर्ज कराने की बात कर रहे है.. जो कानूनन ठीक हो सकता है… लेकिन बिना किसी रजिस्ट्री रिड पुस्तिका के इस जमीन पर कब्जा कर रहे लोगो पर ही समय रहते ये कार्यवाही हो जाती तो शायद ये नौमत ना आती…..