अम्बिकापुर: संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा, अम्बिकापुर में 2016 से पदस्थ सहायक कुलसचिव शोभना सिंह को आज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह एवं कुलसचिव बिनोद कुमार एक्का द्वारा विदाई दी गई। शोभना सिंह ने इस विश्वविद्यालय में 2016 में सहायक कुलसचिव के रूप में सेवा कार्य प्रारंभ की थी। जिनका स्थानांतरण अब पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर में सहायक कुलसचिव के पद पर हो गया है। अतः आज विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें विदाई दी गई।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक सिंह ने कहा कि शोभना सिंह, स्वभाव से बहुत सीधी-सादी और सरल थी, जो सबके साथ कार्य करने में दक्ष थीं। उनका व्यवहार हम सबके लिए चिर स्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि शासन में स्थानांतरण की प्रक्रिया होती है। अतः एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना-जाना स्वाभाविक है। हम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि शोभना सिंह सहायक कुलसचिव से उपकुलसचिव और कुलसचिव के पद को सुशोभित करें।
इस अवसर पर कुलसचिव बिनोद कुमार एक्का ने कहा कि शोभना सिंह के सहयोग से विश्वविद्यालय निरंतर गति प्रदान कर रहा था। उनकी स्मृतियां हम सबके बीच सदैव बनी रहेगी। यहां शासन के द्वारा सहायक कुलसचिव और उप-कुलसचिव के पद पर कुल 4 लोग ही थे, लेकिन अपने बीच से शोभना सिंह का जाना हम लोगों को बहुत याद दिलाएगा। शोभना सिंह ने अपने कार्यकाल के अनेक अनुभव को सुनाते हुए कहा कि हमारे बीच मतभेद भले रहे हो, लेकिन मनभेद कभी नहीं थे। हमारा किसी अधिकारी, अध्यापक और कर्मचारी से कभी कोई मनमुटाव नहीं रहा। अपना आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने सबके प्रति धन्यवाद दिया और कृतज्ञता व्यक्त की।
विश्वविद्यालय के अध्यापक अधिकारी और कर्मचारियों ने भी अपने विचार रखें। जिनमें जनसंपर्क अधिकारी- डॉ राजकुमार उपाध्याय ‘मणि’, डॉक्टर आशीष कुमार, आनंद कुमार, डॉ. सुषमा केरकेट्टा, डॉक्टर जुनैद खान, असीम केरकेट्टा, डॉ मनोज झारिया, मुकेश कुमार नाग के अतिरिक्त सहायक कुलसचिव मरावी, कार्यालय सहायक शशिधर मिश्र, विजय गिरि सहित अनेक लोगों ने धन्यवाद दिया। इस विदाई समारोह का संचालन डॉक्टर शशिनाथ पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन उप-कुलसचिव अन्ताराम चौरे ने किया। विदाई समारोह के अंत में कुलपति और कुलसचिव ने पुष्पगुच्छ के साथ साल, श्रीफल और अटैची देकर सम्मानित किया। इसकी जानकारी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी- डॉ राजकुमार उपाध्याय ‘मणि’ ने दी है।