अम्बिकापुर..(सीतापुर/अनिल उपाध्याय).. सेवानिवृत्त शिक्षकों का पेंशन प्रकरण तैयार करने समेत शासकीय कार्यो के एवज में शिक्षकों से मोटी रकम उगाही करने वाला खण्ड शिक्षाधिकारी कार्यालय का विवादित लेखापाल को निलंबित कर दिया गया है।
काम के बदले मोटी रकम की माँग करने एवं विरोध करने पर शिक्षकों को चप्पल घिसवाने की धमकी देने से परेशान शिक्षकों ने लेखापाल के विरुद्ध क्षेत्रीय विधायक एवं खाद्यमंत्री अमरजीत भगत को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की माँग की थी। खाद्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए लेखापाल को निलंबित करने के निर्देश दिये थे।
इसके बाद भी अधिकारी, मंत्री का निर्देश दरकिनार कर लेखापाल को बचाने का प्रयास कर रहे थे। किँतु जाँच के दौरान सारे आरोप सही पाये जाने पर संयुक्त संचालक शिक्षा ने लेखापाल को निलंबित करते हुए डीईओ कार्यालय में संलग्न कर दिया है। लेखापाल के विरुद्ध हुये निलंबन की कार्रवाई के बाद शिक्षकों ने राहत की साँस ली है।
विदित हो कि खण्ड शिक्षाधिकारी कार्यालय में पदस्थ लेखापाल प्रसाद राम पैंकरा अपने क्रियाकलापों को लेकर हमेशा विवादों में रहते है। दो माह पूर्व इनके इन्ही क्रियाकलापों की वजह से इनका स्थानांतरण रायगढ़ जिले में हो गया था। किंतु जुगाड़ बनाकर ये यथावत हो गये। काम के बदले शिक्षकों से मोटी रकम की माँग करना एवं बेवजह परेशान करने को लेकर सुर्खियों में रहने वाले लेखापाल प्रसाद राम पैंकरा का विवादों से गहरा नाता है, जो शिक्षक इनकी माँगे नही मानता उन्हें ये काफी परेशान करते थे। ऐसे कई मामले है जिसमे इन्होंने सेवानिवृत्त या मृत शिक्षकों के परिवार से पेंशन एवं अन्य शासकीय कार्यो के बदले मोटी रकम वसूल ली और उनका काम भी नही किया।
ऐसा ही एक मामला है प्रधान पाठक अमृत लाल टोप्पो का जिनका निधन 25 फरवरी 2020 को हो गया था। मृत्यु उपरांत परिवार को मिलने वाली सहायता राशि दिलाने के बदले मृत शिक्षक की बेवा से तीन किश्तों में 60 हजार रुपये ले लिये और उनका काम नही किया। काम करने के बजाये उन्हें घुमाते रहे इसी तरह प्रधानपाठक धनसिंह की मृत्यु पश्चात सहायता राशि दिलाने के नाम पर उनकी बेवा से 70 हजार रुपये वसूल लिये लेकिन उनका काम नही किया। दूसरा मामला सेवानिवृत्त प्रधानपाठक रातू राम का है जिनसे पेंशन, एरियर्स एवं छठवें वेतनमान की तीसरी किश्त दिलाने के नाम पर 10 हजार रुपये माँगे रातू राम द्वारा विरोध जताने पर लेखापाल ने धमकाते हुये कहा कि दर्जनों चप्पल घिस जायेंगे पर बिना दिये काम नही होगा।
इसी तरह का एक और मामला सामने आया है जिसमे पास्कल राम, रघुवर राम, विजय प्रकाश एवं शोभेन तिग्गा का 2016 में भविष्य निधि का अंतिम भुगतान संबंधी पत्र बीईओ कार्यालय में आया था किंतु उनसे घुस नही मिलने की वजह से लेखापाल ने चार सालों से भुगतान संबंधी पत्र को फाइलों में दबाकर रख दिया था। इस संबंध में जब भी चारो शिक्षक लेखापाल से पूछताछ करते वो गोलमोल जबाब देकर उन्हें टरका देता था। आखिरकार पत्र फाइलों दबा रह गया और भुगतान की समय सीमा समाप्त हो गई। जिस वजह से उन चारों का भुगतान नही हो सका अपने भुगतान की बाँट जोहते जोहते दो शिक्षक पास्कल राम एवं विजय प्रकाश स्वर्ग सिधार गये।
इसके अलावा दर्जनों की संख्या में ऐसे कई शिक्षक है जिन्हें सेवानिवृत्त हुये सालो हो गये। लेकिन लेखापाल की माँग पूरी नही कर पाने की वजह से उनका पेंशन एवं अन्य कार्य लंबित पड़ा हुआ है। इस संबंध में बीईओ मिथिलेश सिंह सेंगर ने सेवानिवृत्त शिक्षकों की शिकायत पर कई बार लेखापल को लंबित प्रकरणों को निपटाने के निर्देश दिये। लेकिन उनकी बात भी नही सुनी गई। थक-हार कर परेशान शिक्षकों ने क्षेत्रीय विधायक एवं खाद्यमंत्री अमरजीत भगत को ज्ञापन सौंप लेखापाल के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की थी। जिसके आधार पर जाँच उपरांत आरोप सही पाये जाने एवं बीईओ द्वारा उच्चाधिकारियों के समक्ष लेखापाल के काम के प्रति उदासीनता और अड़ियल रवैये के बारे में पूरी जानकारी प्रस्तुत करने के बाद संयुक्त संचालक शिक्षा ने लेखापाल को निलंबित करते हुये डीईओ कार्यालय में संलग्न कर दिया है।
इस संबंध में बीईओ मिथिलेश सिंह सेंगर ने बताया कि लेखापाल के क्रियाकलापों को लेकर काफी शिकायतें थी। शिक्षक काफी परेशान थे। कई बार निर्देश देने के बाद भी लेखापाल निर्देशों का पालन नही किया करते थे। शासकीय काम के बदले शिक्षकों से घुस लेना एवं लेने के बाद भी काम लंबित कर देना उनके आदत में शुमार था। जिसकी वजह से उनकी शिकायत मंत्री से लेकर कलेक्टर तक हुई थी। जिसके आधार पर जाँच हुआ और आरोप सही पाये जाने पर संयुक्त संचालक शिक्षा ने उन्हें निलंबित कर दिया है।