चिरमिरी से रवि कुमार
शासन प्रषासन भले ही एड्स नियंत्रण को लेकर हरसंभव प्रयास कर रहां हो, लेकिन जागरुकता के अभाव में सभी प्रयास विफल साबित हो रहें है।
चिरमिरी, बैकुन्डपुर में इस साल अब तक लगभग छह दर्जन से अधिक मरीज जांच के बाद एड्स से ग्र्रसित मरीजों की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने की है। जिसमें अब तक एक दर्जन से अधिक एड्स ग्रसित मरीजों की मौंत भी शामिल है।
एड्स नियंत्रण को लेकर चिरमिरी बैकुन्टपुर और मनेन्द्रगढ़ में पिछलें दस सालों में 50 हजार से अधिक लोंगों के रक्त की जांच कर एचआईवी टेस्ट किया गया है।येे जिसमें जिले में लगभग तीन सैकड़ा लोग एड्स रोग से ग्रसति है। जांच के दौरान मरीजों की संख्या में काफी इजाफा होना पाया गया है।
शहरी अंचलों में सर्वाधिक मरीज
स्वास्थ्य विभाग के पिछले दस सालों के आंकडों के आनुसा एड्स के अधिकांष मरीज शहरी अंचलों में पाए गए है। जिसमें कोरिया जिले के चिरमिरी, मनेन्द्रगढ़, बैकुन्टपुर के मरीज शामिल है। इसके साथ ही जिले के कोयलांचन क्षेत्रों में से अधिक मिलें है। इसमें से कुछ मरीज ऐसे है, जो पिछले कई सालों से प्रदेष से बाहर रह रहे है।
चिरमिरी में 50 मिले
विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो चिरमिरी में अन्य क्षेत्रों अपेक्षा एड्स रोगियों की संख्या सबसे अधिक चिरमिरी में 2005 से लेकर अभी तक 50 से अधिक मरीजों में एड्स के रोग पाया गया है। जिसमें से दो इर्जन से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं दो से तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया है।
मनेन्द्रगढ़ में 35 से अधिक
विभागीय जानकरी के अनुसार मनेन्द्रगढ़ में 2005 से लेकर दि0 2014 तक स्वास्थ्य विभाग ने चार दर्जन लोगों को एड्स रोग से पीडित होना बताया है। स्वास्थ्य विभाग ने 5 सालों में 5 हजार 504 लोगों की जांच की है इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने 35 मरीजों में एड्स की पुष्टि की है। जिससें अधिकांष मरीज शहर के कोयलांचल क्षेत्रों के शामिल है।साथ ही एड्स से कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
चिरमिरी में दो सैकड़ा एड्स ग्रसित
कोरिया जिले में पांच सालों में स्वास्थ्य विभाग ने समय समय पर अभियान चलाकर 20 हजार 270 लोगों के रक्त की जांच की है।इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने 216 मरीजों को एड्स रोग से ग्रसित होना पाया है। वहीं आधा दर्जन की मौत हुई है।बताया गया है कि चिरमिरी में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रहीं है।
ऐसे संभव है इलाज
एचआईवी पाॅजीटिव एक वायारस है। जिसमें पीडि़तो को कई बीमारीयां अपनी चपेट में ले लेती है। इसके साथ हीं यही आगें चलकर एड्स का रुप धारण कर लेता है।रक्त परिक्षण के बाद जो पीडि़त एचआईवी पाॅजीटिव पाया जाता है, तो उसका सीडी 4 कांउट कराया जाता है।जांच के दौरान यदि पीडि़त का सेल 250 से कम होता है, तो एआरटी दी जाती है।एआरटी वायरस की गति को नियंत्रित करता है।
डाॅ0 जी0डी0 बघेल जिला एड्स नियत्रण अधिकारी
जंच के बाद चिहित एड्स पीडि़तों को एआरटी थैरेपी के माध्यम से उपचार दिया जाता है।इसके साथ ही विभाग द्वारा समय समय पर जांच भी की जाती है।विभाग द्वारा प्र्रचार प्रसार कर जागरुकता भी किया जा रहा है।