पॉवर प्लांट कंपनी द्वारा सताए गए 20 भुविस्थापित मजदूरों को शासन प्रशासन से नहीं मिला न्याय.. अब लगाई प्रधानमंत्री कार्यालय से गुहार..

जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड मे स्थित पॉवर प्लांट में केएसके महानदी पावर कंपनी लिमिटेड नरियारा द्वारा 20 भूविस्थापित मजदूरों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है.

दरअसल इस स्थान पर 3600 मेगावाट का पावर प्लांट निर्माणाधीन है. जिसमें 1800 मेगावाट का बिजली उत्पादन अभी चल रहा है. जहां मजदूरों का शोषण चरण सीमा पर किया जा रहा है. ऐसी बात निकल कर आई है. इसके साथ ही यहां अवैधानिक कार्य किए जाने की बात कही जा रही है. जिसके खिलाफ आवाज उठाने वाले मजदूरों के प्रतिनिधित्व करने वाले 20 भुविस्थापित मजदूरों को 5 महीने निलंबित रखने के बाद 18 फरवरी 2020 को मनमानी तरीके से बर्खास्त कर दिया गया था.


एच एम एस यूनियन के नेता बलराम गोस्वामी ने बताया कि हमारे संघ के द्वारा लगातार जांजगीर से रायपुर तक 6 महीने में न्याय के लिए भागदौड़ किया गया है. राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री, राजस्व मंत्री विधानसभा अध्यक्ष और उद्योग मंत्री साथ ही ऊर्जा मंत्री, मुख्य सचिव, श्रम मंत्री सभी लोगों के पास गुहार लगा चुके हैं. आज 20 परिवार न्याय से वंचित है जो किसी अन्याय से कम नहीं है.

वहीं पर मजदूर संघ का यह कहना है की इस मनमानी के लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन और श्रम विभाग है. क्योंकि श्रम कार्यालय में हुए समझौते को पालन करवाना उनकी जवाबदारी है. किंतु समझौते को पालन करवाने की बजाय भुविस्थापित कर्मचारियों को कोर्ट जाने के लिए बोला जा रहा है. उन्होंने सीधा आरोप लगाया है कि जिम्मेदार अफसर अपनी जवाबदारी से बच रहे हैं. और मामले को सांठगांठ करके लंबा खींचा जा रहा है. साथ ही मजदूर संघ का यह भी कहना है कि श्रम कार्यालय द्वारा खानापूर्ति के लिए तीन-चार बैठक करा कर अपनी जिम्मेदारी दिखाने की कोशिश की जा रही है.

मजदूर संघ का कहना है की श्रम विभाग द्वारा यह कहा गया है कि इस मामले को श्रम न्यायालय भेज दिया गया है. लेकिन जब जिला प्रशासन खुद कह रहा है यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. तो न्यायालय का फैसला आने के पहले कंपनी प्रबंधन ने सबको 18 फरवरी 2020 को पत्र जारी कर बर्खास्त कैसे कर दिया.

20 भुविस्थापित परिवार लगातार 6 महीने से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. परंतु उनको बहाल कराने के लिए शासन प्रशासन कोई भी रुचि नहीं ले रहा है. साथ ही इन परिवारों को लॉकडाउन में आर्थिक तंगी और कई प्रकार की परेशानियों से भी गुजरना पड़ रहा है. इस लॉक डाउन में इन परिवारों को अब गुजारा भत्ता भी नहीं मिलेगा. हैरान करने वाली बात यह है कि शासन प्रशासन के कुछ जिम्मेदार लोग इस पर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं.

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