अम्बिकापुर
जंगली हाथियो की के लिए महफूज ठिकाना बन चुके सरगुजा मे एक बार हाथियो की उत्पाती चहलदकमी ग्रामीणो के लिए मुसीबत बन गई है। जंगली हाथियो बस्ती मे और ग्रामीण बस्ती के बाहर आसरा खोज रहे है। ऐसा ही नजारा इन दिनो जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के 15 किलोमीटर दूर लमगांव मे आसानी से देखा जा सकता है।
इंसान और हाथियो के बीच अस्तित्व की लडाई सरगुजा जिले के लिए कोई नई बात नही है। लेकिन जब हाथियो इंसान की बस्तियो मे डेरा जमा ले , तब लडाई तेज हो जाती है। ऐसा ही नजारा जिले के लमगांव मे देखने को मिला। जंहा पांच जंगली हाथी जंगल के रास्ते से लमगांव बस्ती मे घुस गए। जिसके बाद वो दोपहर तक शासकीय नर्सरी और गांव के मक्के के खेत को अपनी चारागाह बना चुके थे। वही शाम के पहले वो गन्ना के खेत मे घुस कर गन्ने की फसल को तबाह कर मे व्यस्त नजर आए ।
हाथियो की मदमस्त चहलदकमी लमगांव के ग्रामीण के लिए ही नही उनकी फसल के लिए भी किसी तबाही की तरह है। क्योकि हाथी को भगाने के लिए ग्रामीण जितना असफल प्रयास कर रहे है, हाथी बर्बादी का उतना ही खतरनाक मंजर फैला रहे है। लेकिन इस मुसीबत के छड मे उनकी मदद के लिए लिए ना ही वन विभाग के लोग मौके पर नजर आए। और ना ही प्रशासनिक अमले को नुमाईंदा। अगर गांव वालो के सैकडो फोन और बुलावे मे कोई पंहुचा भी तो वो एकेला वनरक्षक । जिसके पास ऐसा कोई साधन नही था कि उससे हाथियो को गांव से जंगल की ओर खदेडा जा सके।
वैसे तो सरगुजा जिले के कई क्षेत्र हाथी विचरण क्षेत्र घोषित कर दिए गए है। औ वन विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से कागजो मे सैकडो गांव को सुरक्षात्मक फैसिंग से भी घेर दिया है। लेकिन वास्तविकता क्या है, इसका पता लगाना है,, तो धूल रहित कमरो मे कमरो मे बैठे प्रशानिक नुमाईंदो को लमगांव जैसे उन सैकडो गांव से गुजरना होगा। जंहा गज का आंतक अब भी कायम है।