गन्ना किसान जान माल को लेकर हताश
अम्बिकापुर
एक ओर जहां लगातार ग्रामीण ईलाको में हाथियों का दल धावा बोल कर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हुए ग्रामीणों की घरों को तोड़ रहे है। और जो उनके चपेट मेे आ जा रहे है। उन्हें मौत के घाट उतारने में कसर नहीं छोड़ रहे । अभी इस बड़ी समस्या से निपटने केवल वन अमला कार्ययोजना बना रही है। और हाथी का उत्पात उनके दलो के साथ ब़ढ़ते ही जा रहे है।
अभी इस समस्या का समाधान नहीं निकला था कि अब गन्ना किसानो के लिए एक ओर बड़ी समस्या बनकर भालू जंगल से निकल कर खेतो में गन्ना की खड़ी फसल को भारी नुकसान पहंुचाते हुए दिन – दहाडे ग्रामांे में विचरण करने से भी परहेज नही ंकर रहे है। सरगुजा के गन्ना उत्पादक किसान इन दिनों भालूओ कें उत्पात से बेहद परेशान है। वहीं भालू पर हमला भी कर रहे, आये दिन दो चार ग्रामीण भालू के हमले का शिकार होकर गंभीर अवस्था में अस्पताल दाखिल हो रहे है। गन्ने की फसल अभी पूरी तरह से तैयार भी नहीं हुई है। और भालूओ द्वारा गन्ने के खेतो में धावा बोल रहे थे ।
पिछले कई वर्षो से भालूओ के कारण गन्ना उत्पादक किसानो को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेकिन वन विभाग की ओर से इस समस्या के निराकरण की कोई सार्थक प्रयास नहीं किये जाने से किसनो में घोर निराशा देखी जा रही है। ज्ञात हो की सूरजपुर जिले के प्रतापपुर ब्लांक के ग्राम केरता में शक्कर कारखानों के स्थापना के साथ ही सरगुजा के किसानो में गन्ने की खेती को लेकर रूझान बढ़ा है। सरगुजा सूरजपुर के साथ ही बलरामपुर जिले मेें भी गन्ना का रकबा हर साल बढ़ रहा है। शक्कर कारखाने मेे गन्ना की खरीदी से किसानों को नगदी फसल के रूप में इसका लाभ मिलने लगा है। समर्थन मूल्य के साथ भारी भरकम बोनस की वजह से गन्ना उत्पादक किसानो में भी समृद्धि देखी जा रही है। राजपुर विकासखण्ड़ का धंधापुर , रेवतपुर , खोखनिया , शिवपुर समेत आस पास के दर्जनों पंचायत गन्ना की खेती के लिए भी जाने जाते है। सैकडों हेक्टेयर में इन पंचायतो के किसानों द्वारा गन्ना की खेती की जाती है।
इस साल भी उक्त गांवों मंें किसानो ने गन्ना की फसल लगाई है। गन्ना अभी ठीक से तैयार भी नहीं हुआ है। दिसम्बर के बाद ही गन्ना की फसल तैयार होगी और उसे किसान काट सकेंगे । गन्ना की फसल तैयार होने में तीन – चार माह का समस शंेष है। उसके पहले ही भालूओं द्वारा गन्ना की फसल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। गन्ना उत्पादक किसान दिलीप जायसवाल , रामभरोस सिंह , शिवनन्दन राम आदि की माने तो भालूओं द्वारा गन्ना के फसल को नुकसान पहंुचाया जाना अब स्थायी समस्या बनती जा रही है। पूर्व के वर्षो मे जंगलों से निकलकर भालू ऐसे वक्त में गन्ना की खेतो में आते थे जब फसल तैयार रहती थी ओर किसान गन्ना को काटने की तैयारी करते थे । पक चुकी फसल के दौरान भालूओ की आवाजाही से गन्ने को ज्यादा नुकसान नहीं हो पाता था लेकिन इस बार गन्ना तैयार होने से तीन – चार माह पहले ही भालूओं के आ जाने से उन्हें भारी नुकसान का अंदेशा है। किसानों के मुताबिक चुकि गन्ना तैयार नहीं हुई है, इसलिए खाने से ज्यादा नुकसान भालूओ के स्वच्छन्द विचरण हो रहा है। जिस गन्ना खेत से होकर भालू गुजरते हैं , वह खेत पूरी तरह से तबाह हो जाती है। । पौंधों को उखाड़ कर फेंक देने के साथ ही कुचल कर भी गन्ना फसलों को नष्ट किया जा रहा है। कई किसान ऐसे है जिन्हें भालूओं के कारण एक -एक लाख रूपए तक की चपत लग चुकी है। गन्ना उत्पादक किसानो का मानना है कि भालूओं द्वारा गन्ना के फसल को नुकसान पहुंचाए जाने के बाद भी मुआवजा मिल पाना सम्भव ही नहीं होता । ना तो राजस्व विभाग द्वारा सर्वे और फसल क्षति का आकंलन किया जाता है और ना ही मुआवजा का ही प्रकरण तैयार किया जाता है। इस गंभीर समस्या को लेकर वन विभाग भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है। वन विभाग के मैदानी कर्मचारी गन्ना उत्पादक किसानों की समस्या से भली भांति वाकिफ है इसके बावजूद इस समस्या से मुक्ति दिलाने कोई पहल नही की जा रही है। धंधापुर , रेवतपुर , खोखनियां , शिवपुर के आस पास घने जंगल है इन्हीं जंगलो से निकलकर भालू व शावक गन्ना खेतो मेें पहंुचते है।
एक तो अवर्षा दूसरे हाथी ,भालू किसानों की मुश्किले बढ़ा रहे
अषाढ़ के प्रारंभ से ही से सरगुजा में अवर्षा की स्थिति ने किसानो के चेहरों पर चिंता की लकीरे खींच दी है। किसान एक ओर वर्षा ना होने को लेकर हताश है तो दूसरी ओर हाथी के ंसाथ भालूओें के द्वारा लगातार फसलों पर धावा बोल नुकसान पहंुचाया जा रहा है। यदि ऐसा ही हाल रहा तो वर्षा से नुकसान होने से पहले इन बिन बुलाये मेहमानों के द्वारा भारी क्षति पहुचा दी जायेगी । वन अमला इस समस्या के प्रति केवल मुआवजा राशि उपलब्ध कराने से लेकर कार्ययोजना बनाने तक ही सिमित है। जिसमें यह समस्या विकराल रूप धारण करते जा रहा है।