स्वच्छता सर्वेक्षण पर भी प्रदेश में सियासत हुई गर्म..कांग्रेस का आरोप या राजनीति

  • अपने ही प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छता अभियान के प्रति राज्य-सरकार गंभीर नहीं
  • स्वच्छता सर्वे में रायपुर के पिछड़ने के लिए रमन सरकार जिम्मेदार: कांग्रेस
  • नगर निगम के कार्य में शासन का हस्तक्षेप बहुत ज्यादा, है फंड और अमले की कमी: ज्ञानेश

 

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रायपुर

 

स्वच्छता सर्वेक्षण छत्तीसगढ़ में जहा अम्बिकापुर अव्वल आ चुका है तो वही प्रदेश के अन्य शहर काफी पीछे रह गए है.वही इस मामले में भी प्रदेश में कांग्रेस ने सियासत शुरू कर दी है. कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाए है की सरकार की नाकामी की वजह से रायपुर नगर निगम इस सर्वे में पिछड़ गया है. कांग्रेस का आरोप है की क्योकी रायपुर नगर निगम में कांग्रेस की सरकार है इसलिए भाजपा की राज्य सरकार ने निगम के प्रोजेक्टों को अस्वीकार कर दिया था जिस कारण रायपुर इस सर्वे में पिछड़ गया है. बहरहाल कान्ग्रेस ने रमन सरकार पर रायपुर निगम में कांग्रेसी महापौर होने के कारण अनदेखी का आरोप तो लगा दिया पर कांग्रेस शायद ये भूल गई की देश में पन्द्रहवां व दो लाख की आबादी वाले शहरों में देश में प्रथम स्थान पाने वाली अम्बिकापुर नगर निगम में भी कांग्रेस की सत्ता है …बहरहाल आगे पढ़िए इस मामले में राज्य सरकार पर कांग्रेस ने क्या आरोप लगाये है..?

 

प्रदेश कांग्रेस ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 में राजधानी रायपुर के पिछड़ जाने के लिए राज्य की भाजपा सरकार को दोषी ठहराया है। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया चेयरमैन ज्ञानेश शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि राजधानी रायपुर का स्वचछता अभियान में पिछड़ने का राज्य की भाजपा सरकार की विफलता है भाजपा सरकार की प्राथमिकता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छता अभियान है, लगता नहीं। रायपुर निगम के महापौर और निर्वाचित परिषद के द्वारा बनाई गयी कार्य योजना और प्रस्ताव को राज्य सरकार ने बार-बार सिर्फ इसलिये खारिज किया अंड़गा लगाया क्योकि यहां पर कांग्रेस की महापौर और परिषद है, इसके साथ ही राज्य का दूसरा प्रमुख शहर बिलासपुर भी पिछड़ गया जबकि नगरी निकाय मंत्री का निर्वाचित क्षेत्र होने के कारण बिलासपुर को रायपुर की अपेक्षा अधिक सुविधाये राज्य सरकार ने मुहैया कराया बावजूद बिलासपुर मंत्री की अक्षमता के कारण फिस्सडी साबित हुआ है। लगता है कि मंत्री जी की प्राथमिकता स्वच्छता अभियान के बजाय कमीशनखोरी के चलते प्रदेश में शराब बेचने पर ज्यादा है।

 

रमन सरकार रायपुर नगर निगम में कांग्रेस की महापौर परिषद होने के कारण सौतेला व्यवहार करती आई है। रायपुर से दो कद्दावर मंत्रियों का नगर निगम के कार्यों में हस्तक्षेप इतना है कि निगम साफ सफाई की बजाय उद्घाटन कार्यक्रमो की व्यवस्तता में ज्यादा रहता है। इसीलिए पूर्व महापौर किरणमयी नायक को हाईकोर्ट जाना पड़ा था कि नगर निगम एक स्वतंत्र इकाई है, उसके कार्यों में शासन हस्तक्षेप नहीं कर सकता। मीडिया चेयरमैन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार निगम आयुक्त के माध्यम से नगर निगम में महापौर परिषद को काम करने नहीं देना चाहती, अन्यथा महापौर व उनकी परिषद तो पूरे तौर पर राजधानी को राजधानी के अनुरुप बनाने में जुटे हुए हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि पूर्व की परिषद के समय कि राज्य की भाजपा सरकार ने सांठगंाठ के चलते चहेते किवार कंपनी से सफाई के लिए एग्रीमेंट करवाया जिसके कारण रायपुर शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गयी थी। रायपुर से निर्वाचित दोनो कद्दावर मंत्री निगम के कार्यों में अपना प्रभाव जमाने अनावश्यक हस्तक्षेप तो करते हैं लेकिन फंड दिलवाने के नाम पर सौतेला व्यवहार करते हैं। निगम के पास वैसे ही अमला कम है और जो अमला है उसमें से अधिकांश तो इन्हीं वीआईपी लोगों के बंगलों में बुला नियुक्त करवा लिए जाते हैं। अभी कल की ही बात है जब महापौर अपनी परिषद के साथ सचिव महोदय से मिलकर आए हैं और अमले की कमी बताते हुए और अमले की मांग की है।
उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि राज्य सरकार की ओर से स्वच्छता अभियान के कार्यों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक दिन झाड़ू हाथ में लेकर फोटो खिंचवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी। यही हाल उनके मंत्रियों का है। स्वच्छता अभियान को लेकर न तो स्वयं मुख्यमंत्री गंभीर हैं, न ही उनके मंत्रीगण। सभी महज कमीशनखोरी में व्यस्त है, जैसा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं कमीशनखोरी बंद करने की अपील की थी।