अम्बिकापुर
अम्बिकापुर मे एक डायोनेस्टिक सेंटर की मनमानी ने एक परिवार के लिए आफत खडी कर दी है। क्योकि सोनोग्राफी करवाने आई गर्भवती महिला को डायोनेस्टिक सेंटर मे सोनोग्राफी कराने के लिए इतना देर रुकना पडा कि दो महीने बाद होने वाली डिलेवरी डोयोनेस्टिक सेंटर के बाहर सडक मे हो गई।
इंसानियत पर सवाल खडा करने वाली ये दास्तान अम्बिकापुर की है। दरअसल प्रतापपुर विकासखण्ड के जन्नाथपुर निवासी राजेश यादव की पत्नी सात महीने की गर्भवती थी। जिसको वो इलाज के लिए शहर के डाँ किरण अग्रवाल के निजी अस्पताल मे लेकर आया था। लेकिन चिकित्सकीय सांट गांठ के मुताबिक डाक्टर ने उसे सोनोग्राफी कराने के लिए तेज डायोनेस्टिक सेंटर भेज दिया। लेकिन वंहा डाक्टर की अनुपस्थिती के कारण गर्भवती महिला को तीन चार घंटा बिठा लिया गया। और जब तक डाक्टर आए महिला के पेट मे दर्द शुरु हो गया। और सोनोग्राफी करा कर जैसे ही महिला बाहर निकली सडक पर ही उसके बच्चे ने जन्म ले लिया।
इस घटना की खबर मिलते ही आस पास की महिलाओ और लोगो ने महिला की डिलेवरी मे मदद किया। और फिर जच्चा बच्चा दोनो को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया गया। जंहा के डाक्टरो के मुताबिक समय से पहले जन्मे बच्चे का स्वास्थ ठीक नही है। जिसको बेहतर चिकित्सा की आवश्यकता है।
कहते है मारने वाले से बचाने वाला बडा होता है, लिहाजा नवजात और उसकी मां दोनो सलामत है। लेकिन 15 मिनट मे होने वाली सोनोग्राफी के लिए किसी सात महीने की गर्भवती को 4 घंटे बिठाना कितना उचित है, ये सवाल इस घटना के बाद उठना लाजमी है। बहरहाल इस इस चर्चित डायोनेस्टिक सेंटर के ऐसे कारनामो से ऐसे मामलो तो रोजना होते है,, लेकिन सामने वही आते है जिसे कोई देख लेता है।
राजेश यादव , पीडित का पति
हम तो डाँ मंजू मेडम के यंहा दिखाने आए थे, उन्होने सोनोग्राफी कराने के लिए तेज वाले के यंहा भेजा था। लेकिन वंहा सोनोग्राफी करने वाले डाक्टर के देरी से आने के कारण सोनोग्राफी देरी से हुआ। और तब तक दर्द ज्यादा हो गया था। और जैसे ही तेज वाले के यंहा से निकलते रोड मे ही बच्चा का जन्म हो गया।
मंजू एक्का, चिकित्सक , जिला अस्पताल , अम्बिकापुर
क्योकि बच्चा समय से पहले हो गया है, उसका वजन भी कम है। जिससे उसकी अवस्था तो ठीक नही है। उसे बेहतर इलाज की आवश्कता है।