सूरजपुर
सूरजपुर जिले में प्रशासन के आदेश पर आडिट करने गई टीम के लगभग 70 लोग जिस सामुदायिक भवन में रुके थे वहा से कुछ राजनैतिक लोगो द्वारा आडिट टीम को कडाके की ठण्ड में 23 दिसंबर 2015 की रात वहा से खदेड़ने और महिला कर्मी सहित अन्य लोगो के साथ बदसलूकी और मारपीट की शिकायत पर ना तो थाने में कोई सुनवाई हुई और ना ही एसपी और आई जी ने ही इस मामले में गंभीरता दिखाई, लिहाजा मुख्य आडिटर प्रियंका पाण्डेय ने इस मामले में न्यालय में परिवाद दायर कर दिया था जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरजपुर अनिल कुमार बारा ने आपराध पंजीबद्ध ना करने वाले सूरजपुर थाना प्रभारी मानकराम कश्यप के खिलाफ धारा 166 का की उपधारा ग के तहत अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए है।
गौरतलब है की दिसंबर 2015 में प्रशासन के आदेश पर प्रियंका पाण्डेय अपनी टीम के 70 लोगो के साथ विभागीय आडिट कर रही थी इस दौरान प्रशासन के द्वारा ही एक सामुदायिक भवन में आडिट टीम के रुकने की व्यवस्था की गई थी जहां पर 23 दिसंबर की रात कुछ लोगो ने खुद के द्वारा किये गए भ्रष्टाचार के खुलासे के डर से आडिट टीम को भरी ठण्ड में रातोरात सामुदायिक भवन से बाहर कर दिया, इस दौरान इन लोगो ने महिलाओं के साथ बदसलूकी और मारपीट तक की..हद और आडिट टीम के काम को प्रभावित कर दिया..हद तो तब हो गई जब अपने साथ हुए कृत्य की शिकायत करने ये लोग सूरजपुर थाने पहुचे तो वहा पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया..बहरहाल मामला दर्ज होता भी कैसे क्योकि राजनैतिक रसूखदारों ने इस घटना को अंजाम दिया था..लिहाजा प्रार्थी इंसाफ की फरियाद लिए सूरजपुर एस पी सरगुजा आई जी सभी की चौखटों पर अपनी हाजिरी लगाईं थी लेकिन राजनैतिक दबाव एसा था की किसी ने भी इनकी फरियाद नहीं सुनी लिहाजा अंत में प्रार्थी ने न्यायलय की शरण में जाने का मन बनाया और सूरजपुर न्यालय में परिवाद पेश कर दिया था जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने टीप की है की “प्राम्भिक अवलोकन से यह प्रतीत होता है की घटना स्थल पर कोई ना कोई घटना जरूर घटी थी। ऐसे में पाया जाता है की आरोपी के विरुद्ध भा.द.सं. की धारा 166 क की उपधारा ग के अपराध हेतु परिवाद पत्र पंजीबद्ध करने का आधार मौजूद है। अतः परिवाद पत्र पंजीबद्ध किया जाए” बहरहाल साल 2015 से न्याय के लिए भटक रहे प्रियंका पाण्डेय के पिता अभय नारायण पाण्डेय को न्यायपालिका में जाकर ही इन्साफ मिला और न्यायलय के इन्साफ के बाद इन्हें उम्मीद है की अब माननीय न्यायालय की नजर से अब इस मामले के कोई भी आरोपी नहीं बच पायेंगे। गौरतलब है की अभय नारायण पाण्डेय खुद एक अधिवक्ता है और अपनी बेटी का केश भी वो खुद लड़ रहे है।
परिवादनी प्रियंका पाण्डेय ने न्यायालय में परिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए बताया था की 23 दिसंबर 2015 को सूरजपुर के एक मोहल्ले मानपुर स्थित सामुदायिक भवन में अपने 70 शोसल आडीट कार्यकर्ताओं के साथ आडिट एवं प्रशिक्षण कार्य करा रही थी, वहाँ हमलावर मुकेश गर्ग भाजपा मंडल अध्यक्ष, राजेश साहू पार्षद, थलेश्वर नगर अध्यक्ष, अजय अग्रवाल उर्फ़ अज्जू नगर उपाध्यक्ष अपने 15-16 सहयोगियों के सहित आकर गुंडागर्दी, हंगामा, बदसलूकी, अश्लील गालिया देते हुए कहा की तत्काल सामुदायिक भवन खाली करो नहीं तो सभी को ज़िंदा जला देंगे कहते हुए बलपूर्वक हमला कर दिया था जिसके बाद प्रियंका ने थाना प्रभारी को तुरंत ही फोन पर सूचना दी तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया की थाना पुलिस इसमें क्या करेगा आप कलेक्टर को या जिला पंचायत में सूचना दो…ये सारे आरोप प्रार्थनी प्रियंका पाण्डेय ने सूरजपुर टीआई सहित इन लोगो पर लगाए है..और मामला दर्ज ना किये जाने की शक्ल में अब परिवाद पत्र के रास्ते मामला सीधे न्यायालय में है जिसमे थाना प्रभारी पर तो न्यायालय की गज गिर चुकी है पर आरोपी अब भी स्वतंत्र घूम रहे है।