रायपुर छत्तीसगढ़ विधान सभा में सूचना के अधिकार के तहत माँगी जाने वाली जानकारी की शुल्क में वृद्धि के मामले में नया मोड़ सामने आया है.. सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा में आवेदन शुल्क पचास रुपये और प्रति पेज पांच रुपये लिए जाने का आदेश दिया है.. दरअसल 30 नवम्बर 2011 को जारी राजपत्र में छत्तीसगढ़ विधानसभा में आवेदन शुल्क बढाते हुए 500 रुपये कर दिया था.. इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी ने बताया की इस मामले में छतीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने शुल्क को पांच सौ से घटाकर तीन सौ कर दिया था..वही तथ्यों का विरोध करते हुए अनावेदक शुल्क कम करने का निवेदन किया गया जिसमे छ.ग. हाईकोर्ट द्वारा 19 जून 2017 अंतिम आदेश पारित करते हुए विधानसभा छ.ग. द्वारा किये गए पांच सौ से तीन सौ के सुधार को सही मानते हुए, जनहित याचिका करता दिनेश सोनी पर दस हजार रूपए का अर्थ दंड लगाया था..
लिहाजा इस फैसले के विरुद्ध दिनेश सोनी ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.. जिस पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की बेंच में सुनवाई हुई, जिसमे हाईकोर्ट के द्वारा 19 जून 2017 को पारित आदेश निरस्त करते हुए, छ.ग.विधानसभा में सूचना का अधिकार अधिनयम के तहत जानकारी मांगने की शुल्क को पांच सौ से घटाकर पचास रूपए और प्रति पेज पांच रूपए के आधार पर जानकारी प्रदान कराने का आदेश दिया है.. वही दिनेश सोनी पर लगाए गए जुर्माने के आदेश को भी निरस्त कर दिया है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के द्वारा नियमित प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता जन हित याचिका नहीं लगा सकते के आदेश को भी खारिज कर दिया है..