सिलफिली मंडी में कोई नहीं खरीद रहा 25 रुपये में बोरी भर फूल गोभी..अब टमाटर फ़ेंक प्रदर्शन की तैयारी..!

संभाग की सबसे बडी थोक सब्जी मण्डी मे प्रतिदिन खराब हो रही कई क्विंटल सब्जी

तीन प्रदेश के कई शहरो मे सिलफिली से निर्यात होती है सब्जी

अम्बिकापुर

सरगुजा संभाग की सबसे बडी सब्जी मंडी की फसल बर्बादी की कब्रगाह बनती जा रही है । किसान यहां आते तो अपनी सब्जी बेंचने है , लेकिन सब्जी तो दूर यंहा के बेबस किसानो को उनके आंसुओ को मोल भी नही मिल रहा है । स्थिती ये है कि प्रतिदिन कई क्विंटल सब्जी सडकर खराब हो रही है और संवेदनशीलता की चादर ओढ कर बैठी सरकार और किसानो तक योजनाए पंहुचाने के लिए जिम्मेदार प्रशासन अब तक आंखें मूंदे बैठा है । तो दूसरी ओर सब्जी उत्पादक सिलफिली क्षेत्र के लोग इलाके मे कोई फूड प्रोसेसिंग प्लांट या शासकीय कोल्ड स्टोरेज खुलवाने की मांग को लेकर बडे आंदोलन की तैयारी मे है ।

भारत के नक्शे मे बीचोबीच स्थित छत्तीसगढ और छत्तीसगढ के उत्तरी छोर मे उत्तरप्रदेश, झारखंड और मध्यप्रदेश की सीमा से लगे सरगुजा संभाग मे बप्पर सब्जी का उत्पादन किसानो के लिए खुशी नही,,, बल्कि गम का कारण बन गया है। दरअसल सरगुजा संभाग की सबसे बडी थोक सब्जी मंडी के रुप मे पहचान बना चुके सिलफिली मे इस बार पत्तागोभी, फूलगोभी, और टमाटर समेत अन्य सब्जियो की बंपर पैदावार हुई है । खेत मे लगी इन फसलो को देखकर धरतीपुत्र किसान ने ये उम्मीद की थी, कि सब्जी की इस फलस को बेंचकर साहूकारो से लिए कर्ज और खाद बीज का कर्ज चुका कर मेहनतकश किसान अपने परिवार का बेहतर ढंग से भरण पोषण कर सकेगा, लेकिन स्थिती उससे उलट है , किसानो को मंडी पर पडी फसल के लिए 25 रुपए बोरे का खरीददार भी नही मिल पा रहा है ।

गौरतलब है कि सिफफिली मंडी की थोक सब्जी को छत्तीसगढ के कोरबा, बिलासपुर , रायपुर , राजनांदगांव, भिलाई-दुर्ग,  उत्तप्रदेश के रेनूकूट, बनारस, सोनभद्र, मिर्जापुर समेत मध्यप्रदेश के बैढन ,अनूपपुर , शहडोल और जबलपुर जैसे महानगरो की फुटकर मंडियो मे ले जाया जाता रहा है । पिछले वर्ष इन्ही दिनो में सिलफिली मंडी मे आकर सब्जी माफिया किसानो की फूलगोभी 10 से 15 रुपए किलो , पत्तागोभी 8 से 10 रुपए किलो और टमाटर 8 से 10 रुपए प्रति किलो की थोक दर से खरीद कर ले जाते थे और अपने अपने ठिकानो मे इन सब्जियो को दोगुना दामो मे बेंचते थे । इसी को देखकर किसानो ने इस साल पिछले वर्ष की तुलना मे सब्जी के उत्पादन को बढाया , लेकिन नोटबंदी और कोचिओं की एकजुटता ने इस बार किसानो को इस कदर रुला दिया है, कि सब्जी का उत्पादन मूल्य तो दूर किसानो को सब्जी तोडवाने की पारिश्रमिक भी नही मिल पा रही है।

इस आपातकाल की स्थिती मे सिलफिली सब्जी मण्डी मे प्रतिदिन आने वाले एक हजार छोटे बडे किसानो की मायूसी देखकर आप का भी दिल पसीज सकता है,  लेकिन शायद इनके लिए कुछ कर पाने वाले नेता और अधिकारी को इनकी तकलीफ से कोई इत्तेफाक नही है, तभी तो प्रतिदिन लगने वाले संभाग की सबसे बडी सिलफिली मंडी के सब्जी उत्पादक किसान की स्थिती ये है कि 20-25 रुपए बोरे मे गोभी और कैरेट मे आने वाले 25 से 30 किलो टमाटर को 20 रुपए कैरट मे भी कोई खरीदार नही मिल रहा है। मायूस, बेबस और लाचार किसानो को अपनी सब्जी मंडी मे ही छोडकर जाना पड रहा है, क्योकि खेत से मंडी तक लाने की खर्च तो उसने जुटा लिया था, लेकिन घर वापस ले जाने से लिए उन्हे फिर सूदखोरो से उधार लेना पडेगा।

प्रदर्शन के मूड में किसान 

सब्जियो का सही मूल्य ना मिलने और सब्जी रखने का कोई उचित स्थान ना होने के कारण संभाग की सबसे बडी थोक सब्जी मंडी के सैकडो किसान गुरुवार को मंडी प्रागण के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप धरना प्रदर्शन करेंगे। जानकारी के मुताबिक व्यवस्थाओ से त्रस्त किसान इस दौरान विरोध स्वरुप बर्बाद हो रही सब्जियो को सडक पर फेंक कर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते है।

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जो पूंजी हमारा लगा हुआ है एक बोरा गोभी तोडवाने व परिवहन करने तक का खर्च के बाद मंडी मे कमीशन भी कटता है, ऐसे मे फूल गोभी 25 रुपया बोरा व पत्ता की कोई पूंछ परख नही होने से परिवार को पालना मुश्किल हो गया है। शासन को चाहिए कि यहां कोई कोल्ड स्टोरेज या प्रोसेसिंग प्लांट खुल जाए , जिससे सही दाम ना मिलने पर हम अपनी सब्जी को सुरक्षित रख सके।

नीचे देखे पूरी खबर विस्तार से 

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