रायपुर शिक्षाकर्मियों के मामले में निर्णय लेने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया था उसके 3 महीने की समय सीमा आज खत्म हो रहा है । दरअसल आंदोलन में शून्य से लौटे और फिर मध्यप्रदेश में अपने साथियों को संविलियन पाता देखकर शिक्षाकर्मियों ने इस बीच के समय को बड़ी मुश्किल से गुजारा है। पड़ोसी राज्य में जहां न केवल मुख्यमंत्री ने मंच पर आकर संविलियन की घोषणा की बल्कि वित्त मंत्री मलैया ने विधानसभा पटल पर भी बजट सत्र के दौरान शिक्षाकर्मियों के अध्यापक संवर्ग में संविलियन की बात कही इसका सीधा सा मतलब है कि यह घोषणा अब केवल घोषणा नहीं रह गई है बल्कि विधानसभा रिकॉर्ड में भी शामिल हो गई है और अब वहां शिक्षाकर्मियों को संविलियन की सौगात मिलना तय है इधर बात छत्तीसगढ़ की करें तो बीते 3 माह में शिक्षाकर्मियों को कोई सौगात तो मिली नहीं बल्कि वेतन के लिए भी हर माह रुलाया गया, स्थिति यह है कि अभी भी अधिकांश जिलों के शिक्षाकर्मियों को जनवरी और फरवरी के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है, सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान तो जैसे वेतन के मामले में कंगाल ही हो चुका है । इसके अतिरिक्त समय-समय पर शिक्षाकर्मी विरोधी आदेशों ने उनके गुस्से को और बढ़ाया है पहले उन्हें हड़ताल की सजा देते हुए 28 फरवरी तक स्कूल की समय सीमा बढ़ाई गई उसके बाद स्कूल के बाबू और चपरासी को टैबलेट मशीन के निगरानी से दूर कर केवल शिक्षकों को इसके दायरे में रखा गया मानो बस उन्हीं का स्कूल आना जरूरी है ।
छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेन्द्र सिंह एवं प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि शासन द्वारा कमेटी का गठन कर समय सीमा 3 माह तय किया गया था जो अब पूर्ण हुआ हम 180000 शिक्षा कर्मी कमेटी के निर्णय का इंतजार कर रहे थे अब शासन सभी शिक्षा कर्मियों का एक साथ संविलियन कर सबको पूर्ण शिक्षक का दर्जा दे , जिससे हम सब पूर्ण रूप से शासकीय विद्यालय पर अपना ध्यान लगा कर कार्य कर सके ।
प्रदेश के द्वय पदाधिकारियों ने बताया कि शिक्षक पंचायत लम्बे समय से दुरस्त अंचल में शिक्षा का अलख जगा रहे है इस उम्मीद के साथ कि हमारा शासकीय करण होगा , शिक्षक पंचायत के आने से शासकीय शालाओ का स्तर बढ़ा है ।