शक्कर कारखाने मे टेण्डर घोटाला.. डिस्क्वालाईफाई ठेकेदार को मिला ठेका

अम्बिकापुर

स्थापना काल से ही विवादो मे घिरे शक्कर कारखाने का अब विवाद से चोली दामन का साथ हो गया है। पहले यंहा ठेकेदार को नई मशीन का रुपया देकर पुरानी मशीन खरीदी गई । तो अब एक के बाद एक यंहा टेण्डर घोटाला सामने आ रहा है। मौजूदा मामला राजनैतिक दबाव मे शक्कर परिवहन के टेण्डर देने का है। जिसमे एक व्यापारी ने प्रशासन और ठेका पाने वाले ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाया है।

सरगुजा मे स्थित मां महामाया शक्कर कारखाना एक बार फिर सुर्खियो मे है। इस बार मामला यंहा हुए 5 करोड के टेण्डर का है। जिसमे तकनीकी पक्ष को नजरअंदाज करते हुए एक ऐसे व्यक्ति को टेण्डर दे दिया गया । जो टेण्डर के योग्य ही नही था। दरअसल टेण्डर मे शामिल एक ठेकेदार ने आरोप लगाया है कि 12 नवंबर 2013 को कारखाने मे शक्कर परिवहन के लिए 5 करोड की निविदा निकली गई थी और फिर उसी दिन जब टेण्डर खोला गया। तो तकनीकी पक्ष मे डिस्क्वालीफाई ठेकेदार को अंदर बिठा कर बांकी दो ठेकदारो को कमरे से बाहर निकाल दिया गया था। और बाद मे तकनीकी पक्ष मे फेल तिवारी गुड्स कैरियर को टेण्डर दे दिया गया। लिहाजा मनमाने तरीके से किए गए इस टेण्डर प्रकिया की शिकायत शासन प्रशासन तक कर चुके पीडित ठेकेदार विवेक अग्रवाल ने अब मीडिया से टेण्डर घोटाले की बानगी बताई है।

जानकारी के मुताबिक शक्कर कारखाने के लिए जिन तकनीकी फार्मेलिटी को पूरा करना था। उसने 15 टन की क्षमता वाले 20 ट्रको के संपूर्ण दस्तावेज टेण्डर प्रकिया के दौरान प्रस्तुत करना था। लेकिन आरोप ये है कि तिवारी गुड्स कैरियर के पास संपूर्ण दस्तावेज नही थे ,, फिर भी उनको टेण्डर दे दिया गया। लेकिन दूसरी तरफ कलेक्टर साहब की माने तो पहली बार ये टेण्डर तकनीकी खामियो के कारण निरस्त हुआ था। इसलिए दूसरी बार शक्कर कारखाना प्रबंधन ने एक समिति बना कर अपने नियमो के आधार पर टेण्डर किया है। इतना ही नही कलेक्टर जी.आर. चुरेन्द्र ने कहा इस मामले मे अब अगर किसी को न्यायलय जाना तो जा सकता है।

जानकारी के मुताबिक जिस व्यक्ति को मनमाने या फिर कह ले प्रबंधन के अपने बनाए नियमो के अधार पर 5 करोड के परिवहन का टेण्डर दे दिया गया है। वो क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता और पूर्व मंत्री के चहेते है। और टेण्डर के एक दो दिन पहले ही वो अपने चेहेते को टेण्डर दिलाने के लिए खुद शक्कर कारखाना गए थे। बहरहाल तीन निविदा मे तकनीकी रुप से असक्षम ठेकेदार को ही 5 करोड का टेण्डर कैसे मिला ये जांच का विषय है। लेकिन अब क्या होगा जब जांच करवाने वाले ने ही न्यायालय जाने की दलील दे दी है।