जशपुर (नवीन शर्मा) जिले से एक बार फिर मानवता को शर्मशार करने का दृश्य सामने आया है.. जहाँ एक 85 वर्षीय महिला सादमती के शव को मृतिका के परिजनों द्वारा अस्पताल से घर हाथ रिक्सा से ले जाया गया, और वहीं अस्पताल प्रबंधन ने बड़ी बेशर्मी से शव वाहन नहीं होने की बात कहते हुए अपने सुविधा में ले जाने को भी कह दिया..
दरअसल पूरा मामला जशपुर जिले के सिविल अस्पताल पत्थलगांव का है.. आज इस वीडियो के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद मामले का खुलासा हुआ है, बताया जाता है कि जुलाई महीने की 19 तारीख को शाम 6 बजे में महादेव टिकरा निवासी सदमती ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.. जिसके शव को घर ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिल सका,,, जब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में बात की तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया और परिजनों से कह दिया कि हमारे पास कोई सुविधा नहीं है आप अपने सुविधा में घर ले जाइए..
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन के न ही बीएमओ जेम्स मिंज ने ध्यान दिया और न ही ड्यूटीरत डॉक्टर बसंत सिंह ने और फिर परिजनों ने गांव से ही एक रिक्सा बुलवाया और मृतिका सदमती के शव को रिक्सा में डाल के घर ले गए.. मृतिका के परिजनों ने बताया कि उन्होंने कई बार अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन के संबंध में बात की लेकिन कुछ देर रुक जाओ कहते कहते रात के 10 बजे तक भी शव वाहन उपलब्ध नहीं करा सके,, साथ ही उन्हें उनके ही हाल पर छोड़ दिया,,, जब परिजन गुहार लगा लगा कर थक गए तो स्वयं ही किसी तरह गांव से हाथ रिक्सा बुलवाया और शव लेकर चले गए,,, इस दौरान अस्पताल प्रबंधन को इस बात का इल्म तक नहीं हुआ कि अस्पताल से बिना अनुमति परिजन शव लेकर चले गए,,, आपको बता दें कि यदि अस्पताल में उपचार के दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तब शव अस्पताल के कस्टडी में हो जाती है जिसे कुछ फॉर्मेलिटी पूरा करने के बाद परिजनों को सौंप दिया जाता है,,, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में ड्यूटीरत डॉक्टर और नर्सों ने एक बार भी उस शव की सुध लेनी उचित नहीं समझी, मृतक के परिजनों ने इसका ठीकरा अस्पताल प्रबंधन पर फोड़ा है और अस्पताल में ड्यूटीरत डॉक्टर और नर्सों पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
देखिये वीडियो –
आखिर इतनी बड़ी चूक शहर के बीच में स्थित अस्पताल में होती है और इसकी भनक अस्पताल के किसी भी कर्मचारी को नहीं होती है, यह थोड़ा अजीब सा लगता है,,, जब हमने अस्पताल के बीएमओ डॉ. जेम्स मिंज से इस बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने पहले तो कैमरे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने इस पूरे मामले का दोषी मृतिका के परिजनों को करार कर दिया और कहा कि हमने गाड़ी उपलब्ध कराने की बात कही थी लेकिन उन्होंने गाड़ी आने तक का भी इंतजार नहीं किया,, और इसकी पूरी जवाबदारी उन्हीं की है।
बहरहाल इस पूरे मामले में अब-तक किसी पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है जो कि जिले की लचर व्यवस्था को उजागर करता है,,, वहीं आप और हम इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि शहर के बीच में स्थित अस्पताल में डॉक्टर और नर्स किस तरह से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं और उपचार कराने आये मरीजों के साथ इनका रुख कैसा होता होगा,,, खैर इस मामले में अब दोषी डॉक्टर और नर्सों पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करती है या फिर जांच की बात कहकर खानापूर्ति कर लेती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।