जांजगीर चांपा (संजय यादव) 15 अगस्त 1975 में रिलिज हुई फिल्म शोले मे किरदार निभाने वाले जय वीरू की जोड़ी को पूरे भारत में लोगो ने खुब पसंद किया गया था . पर जांजगीर चांपा जिले में प्रशासनिक पद पर किरदार निभा रहे जय बीरू के कार्य लोगो को रास नही रहा है। ऐसे तो इस जोड़ी की चर्चे जिले में खुब हो रही है. और हो भी क्यो नही, दोनो का काम करने का तरीका भी एक ही जैसा है। वो जो कर दे वही ठीक है। आम लोगो से दुरियां बना कर कार्य करने की शैली को लोग पंसद नही कर रहे है।
जिले में हो रहे विकास कार्यो की गति में एक विराम सा लग गया है। किसी प्रकार की हलचल नही दिखाई दे रही है. और न किसी भी भ्रष्ट्र अधिकारीयों, कर्मचारीयो पर भ्रष्ट्राचार की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई हो रही है। सभी अपने मनमाने तरीके से काम कर रहे है। किसी कर्मचारीयों प र उच्च अधिकारीयों का भय नही है। जिले में आम जनता इस बाद की चर्चा हमेशा करती रहती है कि इस जोड़ी से कब मुक्ति मिलेगी। पूर्व में हुये शिक्षा क्षेत्र के कार्य किसी से छीपी नही लेकिन अब इस कार्य मे भी विरांम लग गया है। इस प्रकार से कई ऐसे उदाहरण है जो इस जिलेे के विकास में बाधा बनी है। लेकिन इस ओर उच्च पद बैठे अधिकारीयों की नजर नही जाती है .जिसके चलतेे जिले की विकास मे एक पूर्ण विराम सा लग गया है।
प्रशासनिक अधिकारीयों की बात हो या किसी जनप्रतिनिधियांे की सब अपने -अपने तरीके से इस जिले में काम कर रहे है. पूर्व मे ओपी चैधरी के कलेक्टर बनने केे बाद लोगो मे एक आस जगी थी जो उनके रहते पूरे भी हुये थे . पर जैसे ही यहां से ट्रान्सफर हो कर गये, जिले किसी प्रकार की विकास कार्यो में गतिविधि दिखाई नही देती है। एक ओर जहां कलेक्टोरेट में कुछ विभाग को छोड़ दिया जाय तो कुछ विभाग में अंधा कानुन चल रहा है। जिस प्रकार खाद्य विभाग व खनिज विभाग का कोई माई बाप ही नही है जहां पैसे के बीना कोई फाइल आगे नही बढ़ती. वही दुसरी ओर जिला पंचायत के मनरेगा शाखा हो या शिक्षा शाखा, यहां भ्रष्ट्राचार खुब फुल रहा लेकिन वहां के अधिकारी मौन बैठे तमाशा देख रहे है।