सलबा बांध में डुबाकर रखी गई थी लकड़ी की बड़ी बड़ी बोगियाँ
अम्बिकापुर (कांति रावत की रिपोर्ट)
जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले डांड़गांव सर्किल के सलबा जलाशय में डुबाकर छिपायी गई साल की 51 बोगियाँ वन विभाग ने जप्त कर लिया है। गुरूवार की सुबह परसिर रक्षक पारसनाथ सिंह अपने सहयोगी स्टाफ के साथ जंगल में भ्रमण के लिये निकले थे । सलबा जलाशय के किनारे से बने रास्ते से गुजर रहे थे तभी अचानक उनकी नजर बांध के भीतर किनारे में लकड़ी की बोगी का कुछ हिस्से पर पड़ी । संदेह होने पर उन्होने जलाशय में उतरकर जायजा लिया, जायजा लेने पर मालूम हुआ कि बांध में लकड़ी की बड़ी बड़ी बोगियाँ डुबाकर रखी गई है। बांध के सभी किनारों का भी जायजा वन कर्मचारियों लिया तो वे हतप्रभ रह गये।
बांध में भारी मात्रा में अवैध इमारती लकड़ी रखी हुई थी। इसकी सूचना उच्चाधिकारीयों को दी गई, अधिकारीयों के निर्देश पर वन विभाग का अमला लकडि़यों को जप्त करने ट्रक एवं ट्रेक्टर लेकर मौके पर पहुँचा । बांध से निकालकर बोगियों को वाहनों में लोड किया जा रहा था इसी दौरान ग्राम सलबा ग्राम के महिला एवं पुरूषों ने बड़ी संख्या में आकर वन अमले का घेराव कर दिया और कार्यवाही का विरोध करने लगे। वाद विवाद की स्थिति निर्मित हो गई ,काफी समझाइश देने के बाद भी ग्रामीण परिवहन का विरोध करते रहे। स्थिति गंभीर होता देखकर सरपंच को बुलाया गया, सरपंच ने मौके की नजाकत को देखते हुये स्थिति को सम्भाला तब जाकर जप्त लकडि़यों को परिवहन सम्भव हो पाया।
बरामद लडकियो कुल 14.850 घन मी. की 51 नग साल की बोगियाँ है। जिनकी अनुमानित कीमत लगभग तीन लाख रूपये है। वन अमले ने अज्ञात के खिलाफ पी.ओ.आर.क्र.10641/9,10641/10, 10641/11, 10641/12, 10641/13, 10641/14 की कार्यवाही करते हुये जप्त लकडि़यों को वन विभाग के उदयपुर डिपो में लाया गया। इसके अतिरिक्त परिक्षेत्र उदयपुर के सायर बीट में भी लगभग दस हजार रूपये मूल्य से अधिक की कुल 1.958 घन मीटर 77 नग साल चिरान भी जप्त किया गया है। जिसमें पी.ओ.आर.क्र.10630/12, 10630/11 की कार्यवाही की गई है। सभी जप्त लकडि़यों को वन विभाग के विभागीय ट्रक के द्वारा अम्बिकापुर डिपो भेज दिया गया है। वन विभाग के इस कार्यवाही से उम्मीद की जाती है कि लकड़ी तस्करों में दहशत पैदा होगा और धड़ल्ले से चल रहे इमारती लकडि़यों के व्यापार में रोकथाम हो पायेगा। उक्त कार्यवाही में वनपाल रामलोचन द्विवेदी, वन रक्षक ज्ञानचंद कश्यप, विष्णु सिंह, गिरीश बहादूर सिंह, पारसनाथ सिंह, महिला वन रक्षक अंशुमाला एक्का, औरेलिया मिंज एवं वन विभाग के अन्य कर्मचारी शामिल रहे।