अम्बिकापुर 14 अगस्त 2014
समाचार के भीतर पढिए
- राष्ट्रीय ध्वज फहराने में झण्डा संहिता
- प्लास्टिक के झण्डो का उपयोग नहीं करने की अपील
- सम्मानपूर्वक फहराएं राष्ट्रीय ध्वज
- मैला-कुचैला एवं फटा हुआ राष्ट्रीय ध्वज न फहराएं
- झण्डे का न हो दुरूपयोग
- राष्ट्रीय ध्वज को दें सलामी
राष्ट्रीय पर्व तथा महत्वपूर्ण अवसरों पर गरिमा एवं सम्मानपूर्वक राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय झण्डा संहिता 2002 बनाया गया है। इस संहिता में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के सही तरीके, झण्डा गलत फहराने, झण्डे का दुरूपयोग एवं झण्डे की सलामी के संबंध में विस्तृत उल्लेख है। झण्डा संहिता के अनुसार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों, सांस्कृतिक एवं खेलकूद के अवसरों पर आम जनता द्वारा कागज के बने झण्डांे को हाथ में लेकर लहराया जा सकता है, किन्तु समारोह के पश्चात इन झण्डो को तोड़-मरोड़ कर जमीन पर फेंका नहीं जाना चाहिए। इन अवसरों पर प्लास्टिक के बने झण्डों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
सम्मानपूर्वक फहराएं राष्ट्रीय ध्वज
भारतीय झण्डा संहिता में उल्लेखित है कि जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाये, तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज ऐसे जगह पर फहराना चाहिए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। झण्डे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाये और धीरे-धीरे एवं आदर के साथ उतारा जाना चाहिए। झण्डे को फहराते एवं उतारते समय यदि बिगुल बजाया जाता है, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि झण्डे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराना और उतारना चाहिए। जब झण्डा किसी भवन की खिड़की, बालकनी अथवा अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाऐ तो झण्डे के केसरी हिस्से वाली पट्टी सबसे दूर वाले हिस्से पर होनी चाहिए। जब झण्डे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे आड़ा और चैड़ाई में किया जाता है, तो केसरी पट्टी सबसे ऊपर रहेगी और जब वह लम्बाई में फहराया जाये तो केसरी पट्टी झण्डे के हिसाब से दायीं ओर होगी अर्थात झण्डे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के र्बाइं ओर होगी। झण्डे का प्रदर्शन सभा अथवा मंच पर करने पर इस प्रकार फहराना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झण्डा उनकी दाहिनी ओर रहे अथवा झण्डे को दीवार के साथ वक्ता के पीछे और उसके ऊपर आड़ा फहराया जाये। किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झण्डे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाये। जब झण्डा किसी मोटर कार पर लगाया जाये, तो उसे बोनट के आगे बीचांे-बीच या कार के आगे दायीं ओर कसकर लगाते हुए डण्डे पर फहराना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज को किसी जुलूस या परेड में ले जाया जा रहा हो, तो मार्च करने वालों के दायीं ओर रहेगा। यदि दूसरे झण्डे की कोई लाईन हो तो राष्ट्रीय झण्डा उस लाईन के मध्य में आगे होगा।
मैला-कुचैला एवं फटा हुआ राष्ट्रीय ध्वज न फहराएं
राष्ट्रीय ध्वज मैला-कुचैला एवं फटा हुआ नहीं होना चाहिए। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झण्डे को झुकाया नहीं जायेगा। किसी दूसरे झण्डे या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर नहीं लगाना चाहिए और न ही कोई वस्तु उस ध्वज दण्ड के ऊपर रखा जाये, जिस पर झण्डा फहराया जाता है। इन वस्तुओं में फूल-मालाएं अथवा प्रतीक भी शामिल हैं। फूलों का गुच्छा या झण्डियां अथवा बन्दनवार बनाने या किसी दूसरे प्रकार की सजावट के लिए झण्डे का उपयोग नहीं करना है। झण्डे का प्रयोग वक्ता की मेज को ढकने अथवा सजाने के लिए नहीं करना चाहिए। केसरी पट्टी को नीचे रखकर झण्डा नहीं फहराया जायेगा। झण्डे को जमीन या फर्श छूने अथवा पानी में घसीटने नहीं दिया जायेगा। झण्डे का प्रदर्शन इस प्रकार बांध कर नहीं करना चाहिए, जिससे कि वह फट जाये।
राष्ट्रीय झण्डे का उपयोग राजकीय, सैन्य, केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों से संबंधित शव यात्राओं को छोड़कर किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं करना चाहिए। झण्डे को वाहन, रेलगाड़ी अथवा नाव की टोपदार छत, बगल अथवा पिछले भाग को ढकने के काम में नहीं लाया जा सकता। झण्डे का प्रयोग इस प्रकार नहीं करना चाहिए कि वह फट जाये अथवा मैला हो जाये। झण्डे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जायेगा। किसी भी प्रकार के पोशाक या वर्दी के भाग के रूप में झण्डे का उपयोग नहीं किया जायेगा। झण्डे को गद्दियों, रूमालों, बक्सों अथवा नैपकिनों पर नहीं छापा जायेगा। झण्डे में किसी भी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जायेंगे। किसी भी प्रकार के विज्ञापन के रूप में झण्डे का प्रयोग नहीं किया जायेगा और न ही उस डण्डे पर विज्ञापन लगाया जायेगा, जिस पर झण्डा फहराया जाता है। झण्डे को किसी वस्तु को प्राप्त करने, देने, पकड़ने या ले जाने वाले पात्र के रूप में प्रयोग नहीं किया जायेगा। गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के समारोह के एक अंग के रूप में झण्डे को फहराने से पूर्व फूलों की पंखुडि़यां रखी जा सकती हैं।
राष्ट्रीय ध्वज को दें सलामी
राष्ट्रीय ध्वज को फहराते समय, उतारते समय या झण्डे को परेड में अथवा किसी निरीक्षण अवसर पर ले जाते समय वहां पर उपस्थित सभी लोग झण्डे की ओर मुॅह करके सावधान की अवस्था में खड़े होंगे। वर्दी पहने हुए व्यक्ति समुचित ढंग से राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देंगे। जब झण्डा सैन्य टुकड़ी के साथ हो तो उपस्थित व्यक्ति सावधान खड़े होंगे या जब झण्डा उनके पास से गुजरे तो वे उसको सलामी देंगे। गणमान्य व्यक्ति सिर पर कोई वस्त्र पहने बिना भी सलामी ले सकते हैं।