अम्बिकापुर 14 जून 2014
- रामगढ़ की पुरातत्विक-सांस्कृतिक खुषबू को दूर-दूर तक फैलाएं- कमलभान सिंह
- रामगढ़ महोत्सव का रंगारंग समापन
रामगढ़ हमारी सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक गौरवशाली प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है। इसकी पुरातात्विक और सांस्कृतिक खुषबू को दूर-दूर तक हमे फैलाना चाहिए। देश के विद्वान साहित्यकारों और कवियों ने अपनी रचनाओं में रामगढ़ की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन करते हुए इस पवित्र स्थान को भगवान राम की वनवास स्थली और संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि कालीदास की अमरकृति ’’मेघदूतम’’ की रचना स्थली की संज्ञा दी है। इसकी विशेषताओं से सुसज्जित यह रामगढ़ अब परिचय का मोहताज नहीं है। यह विचार सरगुजा के सांसद कमलभान सिंह ने सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड मे चल रहे दो एक दिवसीय रामगढ़ महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए।
श्री कमलभान ने कहा कि हमारा यह प्रयास होगा कि राष्ट्र के मानचित्र पर रामगढ़ सुनहरे अक्षरों में अंकित हो और इसके लिए शासन की ओर से हर संभव प्रयास किया जाएगा। सांसद ने इस अवसर पर रामगढ़ आने वाले विद्वानों, साहित्यकारों कवियों, गायन वादन, नृत्य और संगीत सहित विभिन्न विधाओं के कलाकारों का अभिनन्दन करते हुए भविष्य के आयोजन के लिए आमंत्रित करते हुए शुभकामनाएं दी।
लुण्ड्रा के विधायक श्री चिंतामणी महाराज ने कहा कि यहां पर उपस्थित भीड़ से यह प्रतीत हो जाता है कि इस क्षेत्र के प्रति लोगों की आस्था बढ़ रही है। साहित्य और कला के क्षेत्र के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ रहा है। यह रामगढ़ के प्रति आगाध श्रद्धा का प्रतीक है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राज्य हस्तशिल्प बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री अनिल सिंह मेजर ने रामगढ़ के सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महिमा का वर्णन करते हुए आश्वस्त किया कि यह स्थल न सिर्फ जिले और प्रदेश में अपितु राष्ट्रीय पटल पर भी शोभायमान होगा। इस अवसर पर उन्होंने सरगुजा के तत्कालीन संस्कृत विद्वान प्रोफेसर भास्कराचार्य त्रिपाठी को स्मरण करते हुए रामगढ़ महोत्वस आयोजन में इनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह स्थल लोगों के श्रद्धा केन्द्र के रूप में जाना और पहचाना जाएगा तथा लोगों की मंषा के अनुरूप ही इस स्थान का सर्वांगीण विकास सुनिष्चित होगा। कार्यक्रम को नगर पालिक निगम के महापौर श्री प्रबोध मिंज ने भी संबोधित किया।
कलेक्टर एवं पुरातत्व संघ के अध्यक्ष श्रीमती ऋतु सैन ने कहा कि रामगढ़ के विकास के लिए कार्ययोजना बनाकर समुचित विकास के लिए प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियो के द्वारा माॅ सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। समारोह के दौरान सरगुजा जिले के कला एवं साहित्य से जुड़े हुए लोगो को प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। आयोजन समिति द्वारा अतिथियो को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति देते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन प्रस्तुतियों में अम्बिकापुर के श्री नासिर खान एवं समूह सुगम संगीत, रायपुर की सुश्री मनी राम ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति, सारंगढ़ की कुमारी आर्या नन्दे ने ओड़सी नृत्य, अम्बिकापुर के श्री लल्लु राजा ने लोककला की प्रस्तुति एवं रायपुर की भारती राजपूत ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी। इसके अलावा स्थानीय एवं अन्य कलाकारों के द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। शैला नृत्य प्रस्तुति में उदयपुर, कवलगिरी एवं ग्राम जमगला के समूह को पुरस्कृत किया गया।
समापन समारोह में जिला पंचायत सदस्य श्रीमती प्रमिला पोर्ते एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधि, नीलिम्प त्रिपाठी, पुरातत्व संघ के पदाधिकारी श्री करता राम गुप्ता, श्री आलोक दुबे, श्री जे.पी. श्रीवास्तव, श्री कश्यप, वनमण्डलाधिकारी श्री मोहम्मद शाहिद, अपर कलेक्टर श्री एन एक्का एवं संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में आम जनता उपस्थित थे।