बलौदाबाजार. हवा में तेजी से बढ़ते प्रदूषण की वजह से राजधानी के बाद बलौदाबाजार जैसे छोटे कस्बाई इलाकों में भी एसिड रेन जैसा मामला सामने आया है। शनिवार सुबह बूंदाबांदी में कई ने पीली बूंदों को गिरते देखा। हाथ और शरीर के खुले हिस्से की त्वचा पर बूंदों के गिरने से हल्की जलन लोगों ने महसूस की।
कई सालों से एसिड रेन पर शोध कर रहे रविशंकर यूनिवर्सिटी के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर शम्स परवेज का कहना है कि जिस तरह के हालात बताए जा रहे हैं, उससे लगता है कि बलौदाबाजार में एसिड रेन हुई होगी। उन्होंने बताया कि रायपुर में पिछले साल हुई रिसर्च में अगस्त से सितंबर के बीच में चार स्थानों पर बारिश के सैंपल बहुत ज्यादा अम्लीय या एसिडिक मिले थे।
प्रदूषण है एसिड रेन की वजह : डॉ. शम्स परवेज का कहना है कि बारिश के साथ गिरी पीली बूंदों का रंग नाइट्रेट और सल्फर की वजह से होता है। वाहनों और फर्नेस या भट्टियों के उच्च तापमान से निकलने वाली गैसों से हवा में इन दोनों तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। पिछले साल अगस्त-सितंबर में उन्होंने रायपुर, भिलाई में कई स्थानों पर बारिश के नमूने एकत्र करवाकर उनका केमिकल एनालिसिस करवाया था। 22 में से 4 सैंपलों में पीएच वेल्यू चार निकली। इसका अर्थ यह है कि पानी में एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा थी।
क्या है पैमाना
आमतौर पर शुद्ध पानी की पीएच वेल्यू सात मानी जाती है। जैसे-जैसे पीएच वेल्यू घटती जाती है, पानी अम्लीय या एसिडिक होता जाता है। प्रदूषण की वजह से 5.6 पीएच तक के पानी को भी अब सामान्य माना जाता है। पर रविशंकर यूनिवर्सिटी कैंपस समेत अन्य स्थानों से लिए गए चार सैंपल में यह वेल्यू चार आई थी। यह स्थिति खतरनाक है। डा. शम्स परवेज ने बताया कि इन चारों सैंपलों को जांच के लिए दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मेट्रोलॉजी में भेजा गया है। ताकि इसमें मौजूद नाइट्रेट, और सल्फर की मात्रा का पता चल सके। इसके नतीजे आने मेंं तीन से चार महीने का वक्त है।