अम्बिकापुर
नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जिस प्रकार से नोट बंदी के बाद लोग उम्मीद भरी निगाह से सरकार की ओर देख रहे थे कि टैक्स स्लैब में राहत मिलेगी तथा आयकर छूट की सीमा 5 लाख तक की जायेगी एवं 5 लाख तक के आय पर मिले 5 प्रतिशत छूट 5 लाख के बाद लगायी जायेगी, किन्तु सरकार के इस बजट से लोगांे में काफी निराशा है। सरकार ने 5 लाख तक के आयकर में जिस 5 प्रतिशत छूट की बात करते हुए 12500 रूपये की छूट दी है, उससे ज्यादा तो वह सर्विस टैक्स के रूप में ले ले रही है, इस मायने से देखा जाये तो यह छूट केवल आंकड़ों की बाजीगरी से ज्यादा और कुछ नहीं है। इससे लोगों का काफी निराशा हुई है। इससे ज्यादा बड़ी बात ओर क्या हो सकती है जब आर्थिक सर्वे रिर्पोट के माध्यम से सरकार ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि नोटबंदी के कारण लोगों की नौकरीयां छीन रही हैं और किसानों तथा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आमदनी कम हुई है।
दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी जैसे महत्पूर्ण योजना में व्यय बजट वर्ष 2017-18 में लगभग पिछले वर्ष के खर्च के बराबर ही है, जिसमें से अधिकांश खर्च शौचालय निर्माण में किया जायेगा, जिससे रोजगार सृजन नहीं हो पायेंगे, इस दृष्टि से देखा जाये तो लोगों को रोजगार देने की इस योजना में बजट का अभाव है। पेयजल जैसे स्कीम में मात्र 50 करोड़ की बढ़ोत्तरी विगत वर्ष की तुलना में सरकार की प्लानिंग को साफ दर्शाती है कि वह क्या करना चाह रही है, सामुदायिक पेयजल जैसे स्कीम की बात बजट में नहीं की गई यह भी निराशा जनक है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसे योजनाओं में क्रमशः 19000 करोड़ एवं 9500 करोड़ रूपये विगत वर्ष के बराबर रखना भी यह दर्शाता है कि सरकार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। फसल बीमा योजना हेतु विगत वर्ष में खर्च की गई राशि से भी कम राशि का प्रावधान करना कृषकों की दृष्टि से काफी निराशाजनक है। रेल विस्तार को लेकर सरगुजा एवं छ.ग. की जनता आशांनवित थी कि इस बार रेल विस्तार का तोहफा मिल सकता है, किन्तु रेल मद की राशि से हमें काफी निराशा हुई है। बढ़ती आबादी के अनुपात में मध्यान्ह भोजन में वृद्वि काफी कम है, जिससे बजट की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंह देव ने कहा है कि कच्चे तेल के बढ़ते हुए दाम के बाद, व्यापार निवेश में 8 प्रतिशत की कमी आने के बाद तथा जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमानित 7.5 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत अथवा उससे भी कम दर्शाना सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान लगाता है। जिस उद्देश्य से नोटबंदी की गई उसकी विफलता और फिर अब सरकार आर्थिक सर्वेक्षण रिर्पोट एवं बजट ने यह साफ दर्शा दिया है कि देश की आर्थिक स्थिती काफी बिगड़ी हुई है। एक ओर से सरकार ने कई योजनाओं में राशि बढ़ाई भी है किन्तु इसके लिये रूपये कहां से आयेंगे, इस दृष्टि से देखा जाये तो ये प्रावधान केवल कागज के पन्नों में ही सिमट कर न रह जाये। कुल मिलाकर देखा जाये तो सरकार का यह बजट काफी निराशाजनक है। कृषि, ग्रामीण विकास, युवा, छात्र, रेल विस्तार सभी की दृष्टि से बजट काफी निराशजनक एवं बेपटरी है।