जांजगीर (संजय यादव) देश दुनिया के जंगलो से लगातार वृक्ष कम होते जा रहे हैं, जहां जंगलो की जगह अब बसाहट होने लगी है और पर्यावरण की रीढ़ माने जाने पेड़ पौधे कटते जा रहे हैं। वहीं पहरिया पाठ में एक ऐसा जंगल है, जहां की लकड़ियां काटने से पहले लोग हजार बार सोचते हैं। क्योकि यहां जंगल की पहरेदार है मां अन्नधरी देवी, इस डर से कहीं मां अन्नधरी उन नाराज न हो जाए। यहां की ऐसी मान्यता है।
ये जंगल है जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से 20 किलो मीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पहरिया की मां अन्नधरी देवी की ख्याति दूर-दराज तक हैं । यहां प्रतिवर्ष क्वांर व चैत्र नवरात्रि में ज्यातिकलश प्रज्जवलित किये जाते हैं। जमीन से सौ फीट उपर पहाड़ पर मां अन्नधरी दाई का मंदिर स्थापित है। जहां पहंुचने के लिए लोगों को पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। यहां दुर्गा मंदिर,शिव पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित किये गये है। हजारो की संख्या श्रद्वालू यहां नवरात्रि में दर्शन के यहां पहुंचते है। जिसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
करीब 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले पहरिया पाठ का जंगल की हरियाली अब तक कायम है। इसकी वजह ग्रामीण बताते है। कि यहां मां अन्नधरी दाई साक्षात रूप में जंगल की रखवाली करती है। ग्रामीण जंगल से लकड़िया न अपने घर ले जाते न ही किसी बेच सकते है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बताते है कि एक बार एक व्यक्ति ने लकड़िया काटकर उसे अपने घर मे उपयोग कर लिया। जिससे उस परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले हर गांव,शहर में बढते जा रहे है, वहीं यहां के जंगल में एक भी लकड़ी काटने के लिए काई तैयार नही होता। इससे पर्यावरण का संरक्षण भी हो रहा है। और मंा अन्नधरी के प्रति लोगो की आस्था बनी हुई है।