चिरमिरी से रवि कुमार सावरे
अनदेखीः- विकिरण से होता है कैंसर व ट्यूमर, नहीं की जाती कोई जांच-पड़ताल
मोबाइल टाॅवरों से खतरा
शहर में करीब 20 मोबाइल टाॅवर अलग-अलग क्षेत्रों में लगें है। इनमें से कई टाॅवर बिना किसी मानक के ही लगा दिए गए है, जो कि शहरवासियों के लिए खतरनाक है। नियमों की बात करें तो नगर निगम एक वर्ष के लिए टाॅवर के लिए अनुमति जारी करती है। समय पूरा होने के बाद उसकी जांच पड़ताल कर करती है। अगर स्थिति ठीक हो तभी अगले वर्ष की अनुमति दी जाती है। पर निगम के अधिकरी बिना किसी जाच पड़ताल के ही अनुमति बढ़ा देते है।
शहर में कई मोबाइल कंपनियों के टावॅर जमीन पर और छातों पर लगें है। इनमें कई टाॅवर असुरक्षित है। अधिकांष टाॅवर घनी बस्तियों में लगें है। इसके बाद भी निगम इन्हें हर वर्ष अनुमति दे देता है। शहर में हल्दीबाड़ी, गोदरीपारा, क्षेत्र सहित कई घनी बस्तियों में कई जगहों पर टाॅवर लगें है।
कैसे लगते टाॅवर
मोआइल कंपनी टाॅवर लगाने से पूर्व निगम से अनुमति लेती है। निगम द्वारा निर्धारित फीस लेकर स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी जांच कर एक वर्ष की अनुमति जारी करती है। अनुमति जारी करते समय निगम को ध्यान रखना होता है कि टाॅवर घनी बस्ती में न हो और किसी कमजोर भवन पर न लगाया जाए। एक वर्ष पूरा होने के बाद एक बार फिर से निगम को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी की जांच करना होता है अगर वह सही है तभी एक वर्ष और के लिए अनुमति दी जाती है।
क्या होना चाहिए
मेबाइल टाॅवर घनी बस्तियो मे नहीं लगाने चाहिए। भवन पर टाॅवर जगाते समय उसकी स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी की सही ढंग से जंाच होने चाहिए। जिससे किसी भी स्थिमि में वह गिरने नहीं पाए। टाॅवर में आग से निपटने के लिए प्र्याप्त उपाय किए जाने चाहिए।इसके साथ ही एक चौकीदार रहना चाहिए जो कि किसी भी घटना की स्थिति में प्रषासन को समय पर सूचना दे सकें।
क्या है खतरा
मोबाइल टाॅवर से निकलने वाले रेडियेएषन से कैंसर, ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारीयों होने का खतरा है।इसलिए टाॅवरो को स्कुल हाॅस्पिटल, घनी बस्तियों से दुर लगाने के निर्देष दिए जाते है। जिससे लोगों पर कोई प्रभाव न पडे।
मनोज सिंह आयुक्त नगर पालिक निगम चिरमिरी मोबाइल टाॅवर की जांच पड़ताल की जाएगी। अगर कोई असुरक्षित होगा तो उसकी अनुमति निरस्त कर दी जाएगी।