- ट्राय कोस्टा के डिजाइनर कपड़े पहने वाले मोदी पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन की सादगी धारण करें
- दिखावट और स्वांग से कभी जनहित संभव नहीं : कांग्रेस
शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कांग्रेस ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की बेटी के सवाल पर मोदी ने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया बल्कि अपनी पार्टी की राज्य सरकार की झूठी तारीफ करके अपना राजनैतिक एजेण्डा उजागर कर दिया। मोदी अब चाचा नेहरू बनने का स्वांग रचना चाहते है। लेकिन वे भूल रहे है कि पं. नेहरू का बच्चों के प्रति प्यार मोदी की तरह बनावटी नहीं था। पं. नेहरू को बच्चे बहुत चाहते थे। पं. नेहरू की तरह बनना है तो मोदी को बच्चों से सच्चा स्नेह करना होगा। पं. नेहरू की तरह अपने अंदर भी मोदी को धर्म निरपेक्षता समाजवाद लोकतंत्र के उच्च आदर्षो में विष्वास पैदा करना होगा। नेहरू जैसी लोकप्रियता की चाहत है तो नेहरू की तरह विष्व इतिहास और भारत के इतिहास की समझ धर्म संस्कृति और दर्षन का ज्ञाता बनना होगा। नेहरूजी प्रेम और स्नेह के सागर थे, उनके ऊपर कभी सांप्रदायिक दंगे कराने का आरोप नहीं लगा। मोदी की कार्यप्रणाली में और सोच में नफरत हिलोरे मारती है। जबकि पं. नेहरू का अहिंसा और विष्व शांति में अगाध विष्वास था। मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुये तो गुजरात में अषांति हिंसा और सांप्रदायिकता का तांडव सारे देष ने देखा। सारे विष्व में गुजरात के हिंसा की निंदा हुयी थी। नरेन्द्र मोदी ने अपने आत्म प्रचार के लिये षिक्षक दिवस के पावन दिन का दुरूपयोग कर भारतरत्न सर्वपल्ली राधाकृष्णन का अपमान किया है। पूरे प्रदेष में षिक्षक दिवस डाॅ. राधाकृष्णन की पवित्र स्मृति में षिक्षा और षिक्षकों के प्रति उनके विषेष अनुराग के कारण मनाया जाता है। डाॅ. राधाकृष्णन सादगी और विद्धता की प्रतिमूर्ति थे। आजीवन डाॅ. राधाकृष्णन ने खादी के सामान्य वस्त्रों को धारण किया, वे दिखावा और बनावट से कोसो दूर थे। इसके ठीक विपरीत नरेन्द्र मोदी लाखों रूपयों के डिजाइनर कपड़े पहनते हैं। नरेन्द्र मोदी के ड्रेस डिजाइनर मुंबई बालीवुड के प्रसिद्ध ड्रेस डिजाइनर ट्रायकोस्टा हैं जो उद्योगपति अंबानी परिवार और बालीवुड की बड़ी-बड़ी हस्तियों के ड्रेस भी डिजाइन करते है। मोदी ने षिक्षक दिवस का बच्चों को संबोधन करने और आत्म प्रचार करने में दुरूपयोग तो किया लेकिन स्कूलों में षिक्षकों की कमी, संसाधनों की कमी को दूर करने के लिये कोई ठोस कार्य योजना नरेन्द्र मोदी के पास नहीं है। अपने भाषण को जबरिया सुनवाने की व्यवस्था करने के लिये मोदी ने जिस तरह से राज्य सरकारों पर दबाव बनाया, षिक्षा विभाग के पूरे अमले को झोंक दिया गया वैसा ही दबाव और इच्छा शक्ति का प्रदर्षन स्कूलों में मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने, षिक्षकों की कमी दूर करने के लिये करना, देषहित में और बच्चों के हित में होता। दिखावट और स्वांग से कभी जनहित संभव नहीं है।