मुर्गी के अंडे से डरना पड़ सकता है छत्तीसगढ़ सरकार को..

फ़टाफ़ट डेस्क..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश में मुर्गी अंडा ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है..और अब इस मुर्गी अंडे का कही विरोध हो रहा है..तो कही लोग अंडे के समर्थन में नजर आ रहे है..

बता दे कि प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ियों से लेकर सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में अंडा परोसे जाने का सबसे पहले कबीरधाम जिले में कबीर पंथी समाज ने विरोध किया था..और आज मुंगेली जिले में भी कबीर पंथी समुदाय ने विरोध प्रदर्शन करते हुए..मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है..

वही अब कबीरधाम जिले में आदिम जाति बैगा समाज शासन की अंडा परोसे जाने की योजना के समर्थन में आ गया है..और समाज के लोगो ने हफ्ते में पांच दिन आंगनबाड़ियों और सरकारी स्कूलों में अंडा परोसे जाने की मांग की है..मुख्यमंत्री के नाम सौपे गए ज्ञापन में आधिकारिक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए उल्लेखित किया है..की राज्य में 38 फिसदी बच्चे कुपोषित है..जबकि अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के बच्चों में कुपोषण की मात्रा 44 फीसदी है..इसके अलावा बैगा समुदाय ने एसआरएस 2014 के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए जिक्र किया है कि..83 फीसदी लोग आज भी अंडे का सेवन करते है..और देश के झारखण्ड,ओड़िशा, तेलंगाना,आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे 15 राज्यो में आंगनबाड़ियों से लेकर सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की थालियों में अंडा परोसी जाती है..जिसके बाद अब राज्य की फिजा में मुर्गी का अंडा सुर्खियां बटोर रही है..

दरअसल आंगनबाड़ियों से लेकर सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की थालियों में अंडे परोसे जाते है..हालांकि अंडा नही खाने वाले बच्चों के लिए विकल्प के तौर पर दूध और केला परोसे जाने का प्रावधान है..बावजूद इसके मुर्गी के अंडे का विरोध हो रहा है..और समर्थन भी मिल रहा है!..