मध्यान्ह भोजन योजना के लिए शिकायत निवारण के लिए होगे निःशुल्क कॉल सेन्टर..

मुख्य सचिव ने की मध्यान्ह भोजन योजना की समीक्षा

 सभी जिलों में होंगे निःशुल्क कॉल सेन्टर..

अब तक ग्यारह जिलों में टोल-फ्री कॉल सेन्टर शुरू

रायपुर

राज्य सरकार ने प्रदेश के प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में बच्चों के मध्यान्ह भोजन की योजना में और अधिक कसावट लाने की तैयारी शुरू कर दी है। योजना से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सभी 27 जिलों में टोल-फ्री नम्बर पर आधारित कॉल सेन्टरों की स्थापना के निर्देश दिए जा चुके हैं। इनमें से 11 जिलों- सूरजपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, दुर्ग, कोण्डागांव, बालोद, कोरिया, बिलासपुर, कबीरधाम, मुंगेली, राजनांदगांव और सरगुजा में यह व्यवस्था शुरू हो चुकी है। शेष जिलों में भी कॉल सेन्टर स्थापना के लिए अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों से कहा गया है कि इन कॉल सेन्टरों के टेलीफोन नम्बरों का सभी संबंधित जिलों में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार की अध्यक्षता में आज यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) में इस योजना की राज्य स्तरीय संचालन एवं मॉनिटरिंग समिति की बैठक आयोजित की गयी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के तहत महिला स्व-सहायता समूहों को उद्यान विभाग की ओर से साग-सब्जियों के बीज निःशुल्क दिए जाएं, ताकि महिला स्व-सहायता समूहों की सदस्य महिलाएं अपने घर की बाड़ी में सब्जी उगाकर मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूलों को उसकी पूर्ति कर कर सके। इससे मध्यान्ह भोजन योजना के तहत बच्चों को दाल-भात के साथ अपने ही गांव की ताजी हरी सब्जियां भी मिल सकेगी। बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री एम.के. राउत, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री दिनेश श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक श्री कौशलेन्द्र सिंह और राज्य स्तरीय संचालन एवं मॉनिटरिंग के सदस्य उपस्थित थे।
मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार ने मध्यान्ह भोजन योजना की विस्तार से समीक्षा करते हुए कहा कि रसोईयों को समय-समय पर आवश्यक प्रशिक्षण भी दिलाया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी जब दौरे में जाए तो मध्यान्ह भोजन योजना की किचन का भी निरीक्षण करें और खाने-पीने चीजों को सुरक्षित रखने हेतु आवश्यक समझाईश देवें। साथ ही दौरे के दौरान मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता की जांच भी करें। मुख्य सचिव ने निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि निजी स्कूलों द्वारा प्रवेश के लिए जारी किए जाने वाले विज्ञापनों में गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत स्थान आरक्षित रखने का उल्लेख आवश्यक रूप से किया जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के बाद समय-समय पर उन स्कूलों का निरीक्षण भी करें और देखें कि उन बच्चों में किसी प्रकार के हीन-भावना पैदा न होने पाए। इसके लिए उन बच्चों की यथासंभव आवश्यक मदद करें।
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री डी.के. श्रीवास्तव ने बताया कि मध्यान्ह भोजन योजना के अन्तर्गत 33 हजार 792 प्राथमिक शालाओं के 23 लाख 36 हजार से अधिक बच्चों को और 14 हजार 075 अपर प्राथमिक शालाओं के 13 लाख 91 हजार 182 बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रसोईयों का पारिश्रमिक एक हजार रूपए से बढ़ाकर 1200 रूपए कर दिया गया है। मध्यान्ह भोजन योजना की निगरानी के लिए सभी जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला सतरीय मॉनिटरिग समिति का गठन किया गया है।