अंबिकापुर से रायगढ़ को जोड़ने वाली एनएच 43 पर दर्जनों ब्रिटिश कालीन पुल और पुलिया हैं। इनमें से कुछ 100 साल के आसपास हैं। इन्हीं मे से एक पुलिया जो पहले से ही जर्जर थी, शनिवार को पूरी तरह धसक गयी। मौके पर जांच के बाद एनएच के अधिकारियों ने भारी वाहनों के आने जाने पर रोक लगा दी है जिससे गाडियों का लंबा काफिला जमा हो गया है। मौके पर स्थित एनएच विभाग के एसडीओ एस एल टोप्पो के अनुसार,
“पुलिया बहुत पुरानी है।पहले सरफेस डैमेज हुआ था जिसके रिपेयर का काम चालू था। हैवी ट्रक और गाड़ियों के कारण ये डैमेज हो गया। ये पुल 75 साल पुराना है, इंट और मिट्टी का काम है, इसी वजह से डैमेज हो रहा है। पुलिया को गिराकर नया बनाने की आवश्यकता है।”
अंबिकापुर से रायगढ़ मार्ग पर 10 किमी की दूरी पर स्थित लालमाटी से होकर गुजरने वाली एनएच 43 पर ये ब्रिटिश कालीन पुलिया बनी हुयी थी। लगभग 75 साल पहले बनी ये पुलिया अपनी उम्र से रिटायर होने के बाद भी सेवाएं दे रही थी। बावजूद इसके ना तो इसकी मरम्मत की गयी और ना ही यहां नया पुल बनाने का प्रस्ताव बनाया गया। पिछले कुछ दिनों से पुलिया में क्रेक दिख रहे थे।आशंका के मद्देनजर भारी वाहन चालकों ने रात को अपनी गाड़ियां रोक दी थी और एक दूसरे को सतर्क करते हुए भारी गाड़ियों को जहां थे वहीं रोक दिया जिसकी वजह से कोई हादसा नहीं हुआ।
शनिवार की सुबह पुलिया के दोनों साइड वाल धसक गए जिससे सड़क का आधा हिस्सा भी धंस गया। इसके बाद मौके पर पहुंची एनएच, जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने सभी गाड़ियों को पुल से गुजरने पर रोक लगा दी। ए़नएच के अधिकारियों की मानें तो पुलिया को रिपेयर करने से भी काम नहीं चलेगा और यहां नया पुल बनाने की आवश्यकता है, वहीं जिला प्रशासन अब गाड़ियों को गांवों के बीच से होकर डायवर्ट करने के लिए रुट चार्ट बना रहा है।
अंबिकापुर के इस नेशनल हाइवे से होकर रोजाना हजारों ट्रकें कच्चा लोहा और स्टील के प्रोडक्ट लेकर दिल्ली, हरियाणा, बिहार और झारखंड से होकर आती हैं और जाती हैं। इस पुलिया के धसक जाने से एनएच पर स्टील और लोहा से लदी गाड़ियों पर ब्रेक लग गया है।एसे में अगर इस पुलिया का कोई उपाय नहीं निकाला गया तो उद्योंगों के साथ ही अंबिकापुर से होकर सीतापुर, पत्थलगांव और रायगढ़ जाने वालों को भी भारी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा और उद्योंगों को भी करोड़ों का नुकसान सहना पड़ेगा।