नवजात की ह्त्या का प्रयास करने वाले को पैसे लेकर छोड़ने का आरोप..
10 घंटे बाद भी नहीं हुआ मामला दर्ज..पुलिस मीडिया को कर रही गुमराह..
अम्बिकापुर
एक ओर पूरे देश में “बेटी बचाव, बेटी पढाओ” के नारे के साथ बेटियों की शुरक्षा के लिए अभियान चलाये जा रहे है केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक विभिन्न समाजसेवी संगठनो के साथ मिलकर बेटियों की सुरक्षा के लिए काम कर रही है वही दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के सरगुजा पुलिस के गुर्गो के द्वारा बेटी बचाने के इस अभियान को ठेंगा दिखाया जा रहा है। सरगुजा की लुंड्रा पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। इस थाने के रघुनाथपुर बीट प्रभारी ने एक ऐसी महिला को पैसो की लालच में छोड़ दिया जिसने अपनी नवजात पोती को ज़िंदा दफनाने का प्रयास किया है।
गौरतलब है की लुंड्रा थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर में एक महिला को गाँव के कुछ लोगो ने सुबह सुबह खेत में नवजात बच्ची को ज़िंदा दफनाने का प्रयास करते देखा, जिसके बाद ग्रामीणों ने महिला को समझा बुझा कर अपने घर में बिठाया और उसे समझाया की वो एसा ना करे ये सारा वाकया वहा मौजूद एक अन्य महिला ने बताया महिला ने बताया की वो और उसके परिजन इस महिला को देखे की वो एक नवजात बच्ची को खेत में दफनाने जा रही थी जिसके बाद सबने मिलकर उसको समझाया अपने घर ले आये लेकिन समाज के डर से उक्त महिला उनकी बात समजने को तैयार ही नहीं थी उसका कहना था की उसकी बेटे बिन ब्याही माँ बन गई और वो उसकी जन्मी बच्ची को नहीं रखेगी। लिहाजा परेसान ग्रामीणों के मामले की सूचना रघुनाथपुर में बैठे पुलिस के कर्मियों को दी जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुच कर नवजात बच्ची को अस्पताल में पहुचाई और आरोपी महिला को कुछ पैसे का जुगाड़ करने पर छोड़ देने को कहा और फिलहाल नवजात बालिका की ह्त्या का प्रयास जैसे जघन्य अपराध करने वाले खुले आम घूम रहे है। इस मामले में पुलिस आरोपियों पर जांच कर आरोप तय करने की बजाय मामले में नई कहानी गढ़कर मीडिया को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
बहरहाल पुलिस द्वारा पैसा लेकर मामले को रफादफा करने की बात खुद आरोपी महिला ने स्वीकारी है। और मामले की हकीकत प्रत्यक्षदर्शी भी अपने बयान में बता रहे है। लेकिन वहा ड्यूटी पर तैनात पाठक जी कुछ दूसरी ही कहानी बयाँ कर रहे है उनका कहना है की कुछ हुआ ही नहीं है तो मामला कैसे बनेगा।
रीता अग्रवाल महिला सामाजिक कार्यकर्ता
इस समबन्ध में महिला सामाजिक कार्यकर्ता रीता अग्रवाल ने पुलिस के इस कृत्य की निंदा की है और उन्होंने यह भी कहा की सरगुजा में बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ जैसे स्लोगन बेमानी साबित हो रहे है यहाँ कभी बेटी को ज़िंदा दफनाने का मामला आता है तो कभी माँ बाप बेटी को इस लिए अनाथ आश्रम में छोड़ कर चले जाते है क्योकि पैदा हुई बेटी की एक आँख दबी हुई थी, उन्होंने इस तरह ही घटनाओं को बेहद शर्मनाक बताया है।
नीचे लगे तीन वीडियो में देखे और सुने पूरी कहानी –
https://www.youtube.com/watch?v=H8R4ZD-PIew