अम्बिकापुर(दीपक सराठे) समाज की बनाई बंदिशों को तोड़ते हुए आज फिर एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाया है… दरअसल 15 वर्षीय प्रीती के पिता राजकुमार केशरी का निधन हो गया.. जिसके बाद मुक्तिधाम में प्रीती ने ही अपने पिता को मुखाग्नि दी और सभी अंतिम संस्कार किये जो एक पुत्र अपने पिता के लिए करता है.. स्व. राजकुमार केशरी मूलतः रामानुजगंज के रहने वाले थे लेकिन कुछ समय से अंबिकापुर से लगे परसा गाँव में रह रहे थे और बेटी प्रीती शहर के भीमराव अम्बेडकर स्कूल में कक्षा दशवीं की पढ़ाई कर रही थी..
इधर शनिवार की रात प्रीती और पिता राजकुमार ही घर में थे प्रीती की माँ गांव में थी… और रात में ही पिता का निधन हो गया इस हालत में प्रीती रात भर अपने पिता के शव के साथ अकेली ही रही.. और रविवार को माँ और अन्य रिश्तेदारों के दूर दराज से पहुचने के बाद राजकुमार का अंतिम संस्कार किया गया..
बहरहाल भारतीय समाज में बोझ का दंश झेल रही बेटियों के लिए प्रीती ने मिशाल कायम की है.. उसने यह साबित किया है की बेटियाँ बोझ नहीं होती या फिर बेटो से कम नहीं होती.. ये बंदिशें, ये बेड़िया ये सब तो सभ्य समाज के ठेकेदारों ने उन पर लाड रखे है वरना बेटियाँ चाहे तो क्या नहीं कर सकती..? छत्तीसगढ़ के इस छोटे से शहर अम्बिकापुर में ऐसे हजारो उदाहरण है जो ये साबित करते है की बेटियाँ बोझ नहीं होती..