बस्तर से “टाटा” को जाना पड़ गया अब सरगुजा से “अदानी” को हटाना है…

समाज को अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ेगी जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा न करे-अरविन्द्र नेताम पूर्व केन्द्रीय मंत्री

प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह है ना कि किसी कार्पाेरेट घराने के प्रति

उदयपुर (क्रान्ति रावत) पेसा एक्ट एवं वनाधिकार कानून 2006 के प्रावधानों के उल्लंघन का विरोध तथा प्रभावी क्रियान्वयन की मांगों को लेकर मंगलवार को अनुविभाग मुख्यालय उदयपुर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर अनुविभागीय अधिकारी को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा गया। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ बचाओं आंदोलन एवं हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित उक्त कार्यक्रम मंे कोल प्रभावित ग्राम साल्ही परसा, केते, घाटबर्रा, फतेहपुर, हरिहरपुर, उदयपुर एवं कोरबा जिले के मोरगा, मदनपुर, पतुरियाडांड, सूरजपुर जिले से प्रेमनगर, जनार्दनपुर, चंदन नगर आदि ग्रामों से सैकड़ों ग्रामीण महिला पुरूष शामिल हुए। उदयपुर पुलिस द्वारा कार्यक्रम के आरंभ से पहले धरना स्थल नया बस स्टैण्ड पहुंचकर टेंट पंडाल लगा रहे लोगों से अनुमति के कागजात की मांग की गयी। आयोजकों द्वारा बताया गया कि कार्यक्रम आयोजित करने की सूचना अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में दी जा चुकी है तब जाकर टेंट लग पाया।  आयोजकों ने रैली आयोजन हेतु एसडीएम को आवेदन सौंपा था परंतु धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए रैली निकालने से मना कर दिया गया। आयोजकों ने शांतिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन किया और कार्यक्रम के अंत में सभा स्थल पर अपनी मांगों से संबधित ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी आर के तम्बोली को सौंपा।  सभा को संबोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविन्द्र नेताम ने कहा दक्षिण बस्तर सहित नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां अक्सर नक्सली वारदातें होती रहती है परंतु वहां भी धारा 144 लागू नही है।  सरगुजा जैसे शांत क्षेत्र में ऐसी क्या परिस्थिति उत्पन्न हो गई हैं की पिछले 3 वर्षो से धारा 144 लगाई गई हैं। सरगुजा में लगातार कानूनों का उल्लंघन हो रहा हैं, अदानी जैसी खनन कम्पनियाँ अपनी मनमानी कर रही हैं परन्तु जनप्रतिनिधि चुप हैं। उन्होंने कहा की सरगुजा में इसका जवाब सरकार को देना चाहिए । उन्होंने कहा की जनप्रतिनिधियों से कोई विशेष उम्मीद नहीं की जा सकती समाज को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। संविधान ने ही अपने अधिकारों की रक्षा करने के अधिकार दिए हैं जिसका उपयोग हमें करना होगा। समाज में राजनैतिक चेतना की जरूरत है चमचों से समाज की भलाई नहीं हो सकती। बस्तर क्षेत्र का जिक्र करते हुए उन्होने कहा जिस तरह बस्तर से टाटा जैसी कंपनी को बोरिया बिस्तर बांधकर जाना पड़ा यहां से भी अदानी कंपनी को हटाया जा सकता है बशर्ते लोग संगठित होकर कार्य करें।  समाजवादी नेता आनंद मिश्रा ने सरकार को काबु में रखना जनता का अधिकार है जनता ही चुनकर सरकार बनाती है। आम जनता में ताकत बहुत है लोगों को संगठित होने की जरूरत है। संगठित होकर आवाज उठाने से किसी में इतनी हिम्मत नहीं होगी की हमारे अधिकारों पर अतिक्रमण कर सके।  धरने को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ बचाओं आंदोलन एवं हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि सरगुजा में वनाधिकार कानून की प्रक्रिया को लगभग बंद कर दिया गया हैं। हजारों लोगों के वनाधिकार उपखंड स्तरीय और जिला स्तरीय समिति में लंबित हैं जिन पर कार्यवाही नही की जा रही हैं।

धरने में ग्रामीणों ने आरोप लगाया की प्रशासन खनन कंपनियों के इशारे पर कार्य कर रहा हैं और यही कारण हैं की कानून के विपरीत जाकर प्रभावित होने वाले गाँव में वनाधिकार नहीं दिया जा रहा हैं। जबकि इस सम्बन्ध में कानून स्पष्ट है कि वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया पूरी होने के पूर्व किसी भी व्यक्ति को उसके वन भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता। ग्रामसभा की सहमति के बिना वनभूमि का डायवर्सन भी संभव नहीं हैं इस स्थिति में वनाधिकार पत्रक नहीं बनाना पूर्णतः कानून का उल्लंघन है। इसके साथ ही नियम विरुद्ध तरीके से पूर्व में दिए गए व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र निरस्त किये जा रहे हैं। जबकि वनाधिकार  प्रक्रिया के समाप्ति की घोषणा ग्राम सभा के द्वारा करने के पश्चात् ग्राम सभा के सहमति से ही भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही हो सकती है।

उन्होने कहा कि यह कानून आदिवासियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के साथ हुए एतिहासिक अन्याय को खत्म करने का अवसर देता हैं परन्तु राज्य सरकार उस अन्याय को खत्म करने की बजाये लोगों को उनके वनाधिकार से वंचित कर पुनः अन्याय कर रही हैं जिसे शायद दोबारा कभी ठीक नहीं किया जा सकेगा। इसलिए संवेदनशीलता और प्राथमिकता के साथ इस कानून का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।  धरना को नंदकुमार कश्यप, बालसाय कोराम, उमेश्वर सिंह अर्मो, मंगलसाय, जयनंदन सिंह पोर्ते आदि ने संबोधित किया। धरना स्थल पर प्रशासन की ओर से अनुविभागीय अधिकारी आर के तम्बोली, तहसीलदार सुधीर खलखो, नायब तहसीलदार अमरनाथ श्याम, नगर पुलिस अधीक्षक डी.के.सिंह, थाना प्रभारी ईम्मानुएल लकड़ा, एस.के.केरकेट्टा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे।