अम्बिकापुर
अम्बिकापुर में बेहतर ट्राफिक व्यवस्था के लिए बनाए गए नियम कायदे और व्यवस्था पूरी तरह से धराशाई हो गई है । शहर के सबसे व्यस्तम चौक पर एक प्रायवेट कंपनी द्वारा लगाए गए ट्राफिक सिग्नल पिछले एक महीने से बंद पडा है.. और इसकी देखरेख करने वाला पुलिस विभाग कुंभकरणीय नींद में सो रहा है । जिससे रोजाना इस चौराहो में हादसे होते रहते है ।
दान की बछिया के दांत नही गिने जाते है….. ये कहावत अम्बिकापुर पुलिस विभाग की मौजूदा ट्राफिक व्यवस्था को देख ,, विभाग पर एकदम सटीक बैठती है… दरअसल कुछ महीने पहले जिले में कोयला उत्खन्न करने वाली एक निजी कंपनी के रहमोकरम से जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के सबसे व्यस्ततम गांधी चौक पर ट्राफिक सिग्नल लगाया था… शायद इसे दान का सामान समझ कर अम्बिकापुर पुलिस विभाग इसकी उपयोगिता नही समझ रहा है.. आलम ये है कि गांधी चौक में लगा ट्राफिक सिग्नल पहले तो कई महीनो तक आंख मिचौली करता रहा.. लेकिन अब पिछले एक महीने से बंद पडा है… हमारे इन सवालो के बाद एसपी राधेश्यान नायक जी ने इसके जल्द सुधार का आश्वासन देते हुए ,,सुधार कार्य करने वालो के अम्बिकापुर पंहुचने की बात कही है।
गांधी चौक से रोजाना हजारो चारपहिया और दोपहिया वाहनो के साथ दर्जनो व्हीआईपी वाहन गुजरते है.. जिसके ठीक बगल में खुद पुलिस अधीक्षक का आवास है.. और कलेक्टर भी कार्यालय जाने के लिए इसी चौराहे का इस्तेमाल करती है…. हांलाकि ट्राफिक सिंग्नल ना होने और यातायात पुलिस द्वारा मैनुअल वाहनो को रोकने की बेतरतीब व्यवस्था के कारण यंहा आय दिन छोटे छोटे हादसे होते रहते है… लेकिन लगता है कि पुलिस और प्रशासन की नजरअंदाजी और गांधी चौक की ध्वस्त हो चुकी ट्राफिक व्यवस्था किसी बडे हादसे के इंतजार में है..
गांधी चौक के आस पास ना केवल पुलिस अधीक्षक का बंगला है.. बल्कि पूरी प्रशासनिक अधिकारी इसे चौहारे में है…बहरहाल पहले कुछ महीने तक ट्राफिक सिंग्नल की आदत डाल चुके लोग ट्राफिक सिग्नल बंद होने के कारण मेनुअल व्यवस्था से कंट्रोल नही हो रहे है… लिहाजा अगर जल्द ही गांधी चौक का ट्राफिक सिग्नल बदहाली से बहाल नही हुआ… तो फिर पुलिस और पब्लिक दोनो को बदहाल ट्राफिक सिग्नल के साथ सडको पर सवारी करना होगा ।